त्यागपत्र (कहानी)
लेखक - सतीश मापतपुरी
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------------- अंक - 9 --------------
रात्रि के 12 बज रहे थे. सिंह साहेब के सम्मान में एक बड़ी दवा कम्पनी ने राजधानी के एक शानदार होटल में भोज का आयोजन किया था. प्रबल बाबू उस दुनिया से बेखबर हो चुके थे, जहाँ गरीबी रेखा से भी नीचे लोग अपना जीवन बसर करते…
ContinueAdded by satish mapatpuri on November 7, 2011 at 8:00pm — 1 Comment
त्यागपत्र (कहानी)
लेखक - सतीश मापतपुरी
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-------------- अंक - 8 --------------
प्रबल प्रताप सिंह अब पूरी तरह बदल चुके थे. उनकी ममता को नैतिकता की वेदी पर अपने बच्चों का भविष्य कुर्बान करना गंवारा नहीं था. जीवन एक चढ़ान का नाम है, जहाँ से इंसान एक बार फिसलता है तो गिरता ही चला जाता है. उत्थान से…
ContinueAdded by satish mapatpuri on November 6, 2011 at 2:30pm — 1 Comment
त्यागपत्र (कहानी)
लेखक - सतीश मापतपुरी
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-------------- अंक - 7 --------------
प्रबल बाबू की खामोशी यह बता रही थी कि उनके भीतर विचारों का सैलाब उमड़ रहा है. कहीं नेक विचार उनके भीतर के जग रहे शैतान को पराजित न कर दे, यह सोचकर अध्यक्ष ने उनकी स्वार्थपरता को हवा देना जारी रखा. ........ 'आज समाज…
ContinueAdded by satish mapatpuri on November 5, 2011 at 11:30am — 2 Comments
त्यागपत्र (कहानी)
लेखक - सतीश मापतपुरी
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-------------- अंक - 6 ---------------
दोषी लोगों को सज़ा दिलाने के लिए प्रबल प्रताप सिंह कृतसंकल्प थे, किन्तु राजनीतिक हलकों में उनकी पहुँच अच्छी थी. पार्टी अध्यक्ष उमाकांत ने सिंह साहेब से स्वयं मिलकर कहा - ' आपने जिन लोगों को दोषी करार दिया…
Added by satish mapatpuri on November 4, 2011 at 2:00am — 2 Comments
त्यागपत्र (कहानी)
लेखक - सतीश मापतपुरी
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-------------- अंक - 5 ---------------
... एक दिन सुबह-सुबह प्रबल बाबू ने समाचार पत्र उठाया ही था किउन्हें सांप सूंघ गया... " नकली दवा के कारण सात लोगों की मौत "
खबर ने तो उन्हें झकझोर कर रख दिया. समाचार के विस्तार में लिखा था -- " सरकारी अस्पताल…
ContinueAdded by satish mapatpuri on November 3, 2011 at 3:00am — 2 Comments
त्यागपत्र (कहानी)
लेखक - सतीश मापतपुरी
-------------- अंक - 4 --------------- '
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मैं कुछ समझा नहीं ..' प्रबल बाबू के माथे पर बल पड़ गए थे. उनकी इस असहज स्थिति का लाभ उठाने में उमाकान्त जी ने कोई कसर नहीं छोड़ी. अपने सपाट से चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाते हुए उन्होंने तत्क्षण कहा -…
ContinueAdded by satish mapatpuri on November 2, 2011 at 2:00am — 3 Comments
त्यागपत्र (कहानी)
लेखक - सतीश मापतपुरी
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-------------- अंक - 3 ---------------
प्रबल बाबू को अध्यक्ष महोदय की बातें सुनकर कुछ खटका सा लगा और उन्होंने बीच में ही उन्हें टोकते हुए कहा - 'शायद, इस प्रसंग पर बात करने के लिए यह उचित समय नहीं…
Added by satish mapatpuri on November 1, 2011 at 2:00am — 5 Comments
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