मुहब्बत की डगर में फिर किसी का हो के देखूँ
किसी की झील सी आँखों में फिर से खो के देखूँ
अब इन आँखों से उसके प्यार का चश्मा उतारूँ
जहां में हैं बहुत से रंग आँखें धो के देखूँ
जिसे मैं प्यार करता था वो मेरा हो न पाया
जो मुझसे प्यार करता है मैं उसका हो के देखूँ
बहुत दिन हो गए आँखों को कोई ख़्वाब देखे
चलो शानो पे सर रख कर किसी के सो के देखूँ
कोई तो बढ़ के 'सूरज' आँसुओ को पोछ लेगा
मुहब्बत में चलो इक…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 22, 2015 at 11:00pm — 8 Comments
मुझको तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया
तन्हाइयों की भीड़ में खोने नहीं दिया
चाहा तो बार बार के हो जाऊँ बेवफ़ा
लेकिन तुम्हारे प्यार ने होने नहीं दिया
अब तो धुंवाँ धुंवाँ सी हुई मेरी ज़िंदगी
जलने दिया न, राख़ भी होने नहीं दिया
लब पे सजा लिए हैं तवस्सुम की झालरें
एहसास ग़म का दुनिया को होने नहीं दिया
आँखों में अश्क आप की आ जाएँ ना कहीं
इस डर से अपने आप को रोने नहीं दिया
अपना सका मुझे न…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 9, 2015 at 11:30pm — 9 Comments
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