2122 2122 2122 2122
कैसे कह दें मुल्क में कितनी निखर आयी सियासत ।
क़ातिलों के साथ जब हमको नज़र आई सियासत ।।
चाहतें सब खो गईं और खो गए अम्नो सुकूँ भी ।
इक तबाही का लिए मंज़र जिधर आई सियासत ।।
नफ़रतों के ज़ह्र से भीगा मिला हर शख़्स मुझको ।
कुर्सियों के वास्ते जब गाँव- घर आई सियासत।।
मन्दिरो मस्ज़िद में बैठे खून के प्यासे बहुत हैं ।
क्या हुआ इस मुल्क में जो इस कदर आई सियासत ।।
आदमी का ख़्वाब देखो फिर ठगा सा…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 23, 2020 at 1:00am — 8 Comments
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