" आइये ,अपनी कुर्सी पर विराज लीजिए ।" इतना तंज ! ऐसे कह गये वे जैसे उसके सिर पर ही बैठने वाली हो ।
"जी , अब काम समझा दिजीए कि मेरा काम क्या होगा यहाँ ?" उनके लहजे से अपमानित सा महसूस कर रही थी । क्या इनके साथ ही काम करना होगा उसे ? कैसे झेलेगी ? हृदय रूआँसा हो रहा था ।
" अरे ,आप क्या काम करेंगी ? आप तो बस पगार उठा कर ऐश करेंगी , काम तो हमें करना होगा ।" वह चिढ़ कर बोला ।
"मतलब ?" सुनकर अनमना उठी । सतीश आप कैसे झेलते रहे होंगे ऐसे लोगों को , पति की याद में…
Added by kanta roy on December 22, 2015 at 11:30am — 4 Comments
स्वच्छता की शपथ लेकर,घर- घर अलख जगाना है
भारत स्वच्छ बनाना है, आदर्श देश बनाना है-----------
नागरिक की भागीदारी, जन-सेवा की अब तैयारी
स्वच्छता की जिम्मेदारी , जन-जन की हो भागीदारी
जन-आँदोलन स्वच्छता के , नाम पर चलाना है
भारत स्वच्छ बनाना है ,आदर्श देश बनाना है ------------------
स्वच्छता ही सम्पदा है ,बात यह तुम जान लो
सड़कों ,गलियों की सफाई ,अभियान यह ठान लो
सुव्यवस्थित शौचालय ,कचरा ठिकाने लगाना है
भारत स्वच्छ बनाना है ,आदर्श देश…
Added by kanta roy on December 16, 2015 at 1:45pm — 1 Comment
क्या कसूर था उसका ? मन बेबस हो ,बार - बार डायरी के पन्ने पर लिखे उसके नाम पर जाकर ठहर जाती थी। एकटक देखती जाती ,मानो नाम में उसके अक्स दिखते हों , इबारत कर रही थी वह ....! अंगुलियों को फिराते हुए सहला रही थी उन जख्मों को भी , जो वह दे गया था ।
"उमाsss ! कहाँ भावमग्न हो रही है तु ?"
"कहीं नहीं रे ? "- उसने चौंक कर डायरी बंद कर ली , शायद फिर से चोरी पकड़ी गई थी । जिगरी थी और बरसों से रूम पार्टनर भी।
"तुमने सीधी माँग काढ़ ली ? फिर से…
ContinueAdded by kanta roy on December 15, 2015 at 1:00pm — 7 Comments
जीप में बैठते ही मन प्रसन्नता से भर रहा था। देश में वर्षों बाद वापसी , बार -बार हाथों में पकडे पेपर को पढ़ रही थी , पढ़ क्या रही थी , बार -बार निहार रही थी। सरकार ने पिछले दस साल से इस प्रोजेक्ट पर काम करके रामपुरा जैसी बंज़र भूमि को हरा -भरा बना दिया है।गाँव की फोटो कितनी सुन्दर है , मन आल्हादित हो रहा था। उसका गाँव मॉडल गाँव के तौर पर विदेशों में कौतुहल का विषय जो है ! बस अब कुछ देर में गाँव पहुँचने ही वाली थी। दशकों पहले सुखा और अकाल ने उसके पिता समेत गाँव वालो को विवश कर दिया था गावं…
ContinueAdded by kanta roy on December 4, 2015 at 3:00pm — 17 Comments
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