1222 1222 1222 1222
हक़ीक़त की जुबाँ होकर सदाक़त की सदा होकर
मिला क्या जिंदगी तुझको बता यूँ आइना होकर
उड़ा कर ले गई आँधी सभी अरमाँ सभी सपने
लुटे हम तो ज़माने में मुहब्बत के ख़ुदा होकर
मुहब्बत के चमन में गुल मुक़द्दस खिल नहीं पाये
तगाफ़ुल और रुसवाई मिली बस बावफ़ा होकर
तआरुफ अब मिला जाकर हमें अपनी मुहब्बत का
बनेगी दास्तां सच्ची फ़क़त अब तो फ़ना होकर
हुई सब आम वो बातें जिन्होंने लांघ दी चौखट
तमाशा बन गये आँसू इन…
Added by rajesh kumari on December 24, 2017 at 5:58pm — 20 Comments
2122 1122 1122 22
इससे पहले कि नई और ख़ता हो जाए
इश्क़ करने की चलो आज सजा हो जाए
बेवफाई का तो दस्तूर निभाया तुमने
अब कोई रस्म जुदाई की अदा हो जाए
लो झुका दी है जबीं आप निकालो अरमां
आज पूरी ये चलो दिल की रज़ा हो जाए
कू ब कू हो कोई चर्चा यहाँ अपना वल्लाह
शह्र में फिर कोई बदनाम वफ़ा हो जाए
जाते जाते मेरे दीयों को बुझाते जाना
साथ जिनके मेरा हर ख़्वाब फ़ना हो जाए
---मौलिक एवं…
ContinueAdded by rajesh kumari on December 12, 2017 at 10:09am — 20 Comments
गीत
धरती अम्बर पर्वत नदियाँ,सबके ताने सुनने हैं
हमने जितने कंटक बोये, इस जीवन में चुनने हैं
सर्दी गर्मी की मार सही
या बिन मौसम बरसात सही
चंदा तारों से जगमग हों
या काली नीरव रात सही
हमको तो अभिलाषाओं के,ताने बाने बुनने हैं
हमने जितने कंटक बोये,इस जीवन में चुनने हैं
इक मजहब की दीवार मिले
या वर्ण वर्ग की रार मिले
तेरे मेरे की खाई हो
या द्वेष जलन का हार मिले
हमको तो रिश्तों के मानक ,खामोशी से गुनने…
ContinueAdded by rajesh kumari on December 2, 2017 at 7:00pm — 11 Comments
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