Added by Ravi Prakash on December 27, 2013 at 2:19pm — 14 Comments
बहर-।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ
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कभी चाँदनी छूने आया करेगी।
सितारों की ज़ीनत बुलाया करेगी॥
...
बदन की मुलायम तहों में समेटे,
नदी पत्थरों को सुलाया करेगी।
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भटकता फिरेगा कहीं पे अँधेरा,
कहीं रोशनी गीत गाया करेगी।
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परिंदों की परवाज़ क्या खूब होगी,
हवा जब उन्हें आज़माया करेगी।
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नई चूड़ियों से खनकती कलाई,
सवेरे-सवेरे जगाया करेगी।
...
ज़रा सी किसी बात पे रो पड़ूँगा,
कभी ज़िंदगानी हँसाया करेगी।
...
कहूँगा…
Added by Ravi Prakash on December 23, 2013 at 1:00pm — 26 Comments
बहर-।ऽऽऽ ।ऽऽऽ ।ऽऽऽ ।ऽऽऽ
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लिपट के आबशारों से तराने खो गए होंगे।
उतर के देवदारों से उजाले सो गए होंगे॥
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जिन्हें मालूम है दुनिया मुहब्बत की इमारत है,
ग़ुज़र के मैकदे से भी वही घर को गए होंगे।
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न परियों का फ़साना था न किस्से देवताओं के,
कहानी कौन सी सुन के सलोने सो गए होंगे।
...
उन्हीं की नींद उजड़ी है,उन्हीं के ख्वाब बिखरे हैं,
किसी की आँख के तारे चुराने जो गए होंगे।
...
ज़रा सी चाँदनी छू लें,सितारों की दमक देखें,…
Added by Ravi Prakash on December 16, 2013 at 4:00pm — 13 Comments
Added by Ravi Prakash on December 9, 2013 at 2:27pm — 19 Comments
Added by Ravi Prakash on December 5, 2013 at 3:30pm — 31 Comments
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