For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ravi Prakash's Blog – December 2013 Archive (5)

ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

ग़ज़ल

बहर-।ऽऽऽ ।ऽऽऽ

.

कभी ख़ुद से रफ़ाक़त हो।

ज़रा शिकवा-शिकायत हो॥

.

ख़ुशी के साज़ खो जाएँ,

बड़ी बोझिल तबीयत हो।

.

अदाओं में हो बेअदबी,

निगाहों में हिक़ारत हो।

.

कसकती हों कहीं टीसें,

कहीं बेजा हरारत हो।

.

सरे-बाज़ार लुट जाएँ,

ज़रा ऐसी तिजारत हो।

.

दुआ के चार बोलों में,

अनुष्टुप हो न आयत हो।

.

डगर लंबी,सफ़र तन्हा,

यही अपनी विरासत हो।

.

ग़ज़ल में ढल सकें आँसू,

फ़क़त इतनी इनायत… Continue

Added by Ravi Prakash on December 27, 2013 at 2:19pm — 14 Comments

ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

बहर-।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ

...

कभी चाँदनी छूने आया करेगी।

सितारों की ज़ीनत बुलाया करेगी॥

...

बदन की मुलायम तहों में समेटे,

नदी पत्थरों को सुलाया करेगी।

...

भटकता फिरेगा कहीं पे अँधेरा,

कहीं रोशनी गीत गाया करेगी।

...

परिंदों की परवाज़ क्या खूब होगी,

हवा जब उन्हें आज़माया करेगी।

...

नई चूड़ियों से खनकती कलाई,

सवेरे-सवेरे जगाया करेगी।

...

ज़रा सी किसी बात पे रो पड़ूँगा,

कभी ज़िंदगानी हँसाया करेगी।

...

कहूँगा…

Continue

Added by Ravi Prakash on December 23, 2013 at 1:00pm — 26 Comments

ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

बहर-।ऽऽऽ ।ऽऽऽ ।ऽऽऽ ।ऽऽऽ

...

लिपट के आबशारों से तराने खो गए होंगे।

उतर के देवदारों से उजाले सो गए होंगे॥

...

जिन्हें मालूम है दुनिया मुहब्बत की इमारत है,

ग़ुज़र के मैकदे से भी वही घर को गए होंगे।

...

न परियों का फ़साना था न किस्से देवताओं के,

कहानी कौन सी सुन के सलोने सो गए होंगे।

...

उन्हीं की नींद उजड़ी है,उन्हीं के ख्वाब बिखरे हैं,

किसी की आँख के तारे चुराने जो गए होंगे।

...

ज़रा सी चाँदनी छू लें,सितारों की दमक देखें,…

Continue

Added by Ravi Prakash on December 16, 2013 at 4:00pm — 13 Comments

ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

बहर-ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ (8 गुरु)

.

गलियों-गलियों गाना भी है।

रस्ते में मैख़ाना भी है॥

.

नफ़रत की मारामारी में,

चाहत का पैमाना भी है।

.

अपनी कुटिया के पीछे ही,

उनका दौलतख़ाना भी है।

.

लाखों हैं कनबतियाँ लेकिन,

नैनों का टकराना भी है।

.

दोपहरें अलसाएँ तो क्या,

भोरों का इठलाना भी है।

.

कितने बल हैं पेशानी पर,

परियों का शरमाना भी है।

.

झूठों की हाँडी के नीचे,

सच का आतिशख़ाना भी है।

.

आने वाले… Continue

Added by Ravi Prakash on December 9, 2013 at 2:27pm — 19 Comments

ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

हमारे नाम का चर्चा हुआ होगा सितारों में।

ज़माना खोजता होगा हमें भी बेसहारों में॥

.

किसी ने हाथ छोड़ा तो बढ़ा के रुक गया कोई,

हमारी तंगहाली भी नज़ारा थी नज़ारों में।

.

छुपाते हैं जिसे दिल में उसे ही छीन लेता है,

न जाने कौन क़ातिल है हमारे राज़दारों में।

.

न मुड़ के देखती है फिर लहर जो लौट जाती है,

बड़ी गहरी उदासी है समंदर के किनारों में।

.

रिवाज़ों के,समाजों के अजब रंगीन किस्से हैं,

वही जिनसे अदावत थी जमा हैं सोगवारों में।

.

'रवी'… Continue

Added by Ravi Prakash on December 5, 2013 at 3:30pm — 31 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service