बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
फ़ाइलुन, फ़ाइलुन, फ़ाइलुन
पूछते हो जो क्या चाहिए
सिर्फ माँ की दुआ चाहिए//१
ख़्वाब मुरझा गए हैं अगर
ख़्वाब की ही दवा चाहिए//२
ज़िन्दगी अब मुकम्मल हुई
तुम मिले और क्या चाहिए//३
आ गए हैं सितारे मगर
चाँद का आसरा चाहिए//४
क़ैद में ही रहीं तितलियां
अब उन्हें भी हवा चाहिए//५
शाइरी का गुमाँ मत करो
खूब ही तज्रिबा चाहिए//६
ज़ुल्म क्यों ख़त्म…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on December 19, 2018 at 11:30am — 5 Comments
बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़
मफ़ऊलु, फ़ाइलातु, मुफ़ाईलु, फ़ाइलुन
221, 2121, 1221, 212
ग़ज़ल
*****
उनकी नज़र ने मेरे सभी ग़म भुला दिए
पत्थर जिगर को प्यार का दरिया बना दिए//१
जैसे छुआ हो अब्र ने तपती ज़मीन को
छू कर वो मेरी रूह को शीतल बना दिए//२
ख़ुशबू उठी है क़ल्ब में सोंधी सी इश्क़ की
यादों ने उनके प्यार के छींटे गिरा दिए//३
हल्की सी बस ख़बर थी कि निकलेगा चाँद कल
स्वागत में उसके मैंने सितारे…
Added by क़मर जौनपुरी on December 15, 2018 at 11:00pm — 3 Comments
221-2121-1221-212
धज्जी उड़ी हुई है सभी इन्तज़ाम की
क़ानून की सिफ़त है बची सिर्फ नाम की//१
तुम थे हवा हवाई बचा के नज़र गए
मेरी तरफ़ से कब थी मनाही सलाम की।//२
दिल में जगा के टीस चले मुस्कुरा के तुम
अब दिल में धक लगी है तुम्हारे पयाम की//३
बौरा के जब बसन्ती हवा झूमती चले
कोयल सुनाए कूक तुम्हारे कलाम की//४
अब ज्ञान बाँटने का है ठेका उन्हें मिला
जो खा रहे हैं मुफ़्त में बिल्कुल हराम की/५
इक शाम जो…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on December 6, 2018 at 10:31pm — 7 Comments
1222-1222-1222-1222
अगर दिल को अदब औ शायरी से प्यार हो जाए
तुम्हें भी इश्क की खुशबू का कुछ दीदार हो जाए //१
मचलते दिल की धड़कन में चुभे जब इश्क का कांटा ।
ख़ुदा से रूह का रिश्ता तभी बेदार हो जाये//२
खुदा की सारी रहमत इश्क़ के आँचल में रहती है
छुपा लो सर को आँचल में हसीं संसार हो जाए//३
फ़ना हो जाए दीवाना जुनूने इश्क़ की ख़ातिर
खुशी से चूमे सूली को ख़ुदा का यार हो जाए//४
ये दिल बेजान वीना की तरह खामोश रहता…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on December 5, 2018 at 12:23am — 7 Comments
2122 1122 1122 22/112
छोड़ जाएगा यहीं सब ये ख़बर रखता है
फिर भी दौलत पे वो मर मर के नज़र रखता है//१
ज़िन्दगी प्यार के अमरित से ही होती है रवां
फिर भी नादान कलेजे में ज़हर रखता है //२
कितना मज़बूर है वो रोड पे भूखा बच्चा
एक रोटी के लिए कदमों में सर रखता है//३
आदमी कितना अकेला है भरी दुनिया में
कहने को भीड़ भरे शह्र में घर रखता है//४
पहले शैतान से डरने की ख़बर आती थी
आज इंसान ही इंसान से डर रखता…
Added by क़मर जौनपुरी on December 2, 2018 at 8:17am — 7 Comments
221--1221--1221--122
जब मुल्क़ में नफऱत का ये बाज़ार नहीं था
हर शख़्स लहू पीने को तैयार नहीं था //१
अब बाढ़ सी आई है शबे ग़म की नदी में
जब तुम न थे दिल में तो ये बेज़ार नहीं था//२
जो देश की सरहद पे सदा ख़ून बहाए
क्या देेेश की मिट्टी से उन्हें प्यार नहीं था//३
मिट जाएं सभी जंग में हिन्दू व मुसलमाँ
ऐसा तो मेरे हिन्द का त्यौहार नहीं था//४
जब मुल्क़ परेशां था फिरंगी के सितम से
मिल जुुल के लड़े मुल्क ये लाचार नहीं…
Added by क़मर जौनपुरी on December 2, 2018 at 7:30am — 5 Comments
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