गंगा जमुनी परंपरा को
मानव मन में झंकृत कर दो
वेद रिचाएँ महक उठे सब
मंत्रों को उच्चारित कर दो
हे! भारत जागो
गुंफित हो वन उपवन सारे
अवनी को शुभ अवसर दे दो
रुके पलायन गाँव गली का
हृदय में समरसता भर दो
हे! भारत जागो
बलिदानों के प्रतिबिम्बन में
रिश्ते फूलें खुले गगन में
छुपी हुई मंथर ज्वाला को
मानवता में मुखरित कर दो
हे! भारत जागो
रूप तरुण तेरा मन…
ContinueAdded by kalpna mishra bajpai on December 17, 2015 at 8:44pm — 6 Comments
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