दूर क्षितिज में देखा तारा ,सबका मन हर्षाया
पाप बंध से हमें छुड़ाने,मरियम सुत था आया
दया प्रेम भाईचारे का ,था सन्देश सुनाता
दीन दुखी की सेवा से ही ,जुड़े प्रभु से नाता
आडम्बर में लिप्त जनों को .उसका सत्य न भाया
पाप बंध से हमें छुड़ाने ,मरियम सुत था आया
मानवता के हत्यारे तो ,हर युग में हैं आते
इनका कोई धर्म न होता ,पर दुःख में सुख पाते
उन लोगों ने फिर ईसा को ,था सलीब चढ़वाया
पाप बंध से हमें छुड़ाने ,मरियम…
ContinueAdded by pratibha pande on December 21, 2015 at 10:00am — 9 Comments
" नानी ,आप दोनों की शादी को पचास साल के ऊपर हो गए i वाऊ "I
"और फिर भी हम दोनों खुश दिख रहे हैं ,ये ही पूछना चाह रही हो ना ?"नाना जी पीछे खड़े मुस्करा रहे थे I
"तब ऑप्शंस कम थे न बेटा , मोबाइल इन्टरनेट कुछ भी नहीं था ,जो माँ बाप ने ढूँढ दिया बस उसी को झेल रहे हैं I"नानी की आँखों में शैतानी थीI
"ऑप्शंस होते तो मैडम इतनी अच्छी खिचड़ी खिलाने वाला मिलता तुम्हे "? नानी के हाथ में गरम खिचड़ी की प्लेट थमाते नाना पास आके बैठ गएI
छःमहीने पहले जब से इस शहर में नौकरी लगी है…
ContinueAdded by pratibha pande on December 15, 2015 at 11:00pm — No Comments
तीन दिन के नागे के बाद वो आज आई थी Iमन में आया खींच के डांट लगाऊं पर साथ में चार साल के मुन्नू को देख चुप रह गई I
"बड़ी नई साड़ी पहन कर आई है आज तो ,और ये मुन्नू ने भी नए कपड़े पहन रखे हैं "?
"मैडम जी वो दो दिन मंदिर में रत जगा था ना "I
"पहले ये परांठा सब्जी खिला दे मुन्नू को फिर काम करना "I
"ये नहीं खायेगा मैडम जी ,सुबह से ही प्रसाद मिठाई फल खूब खा रहा है "मुन्नू ने भी आँखों से नानी की बात का अनुमोदन कर दिया I
"कहाँ से आ गया इतना प्रसाद ?"
"वो…
ContinueAdded by pratibha pande on December 2, 2015 at 8:00pm — 11 Comments
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