मेरी ज़िंदगी ग़म का जंगल रही है
खुशी तेरे पैरों की चप्पल रही है
कहीं कोई तो बात है साथ उसके
कमी बेवफ़ा की बड़ी खल रही है
इसी ग़म का तो बोझ है मेरे जी पे
इसी ग़म से तो शायरी फल रही है…
ContinueAdded by Rahul Dangi Panchal on September 21, 2021 at 10:42pm — 4 Comments
122 122 122 122
पड़े जब कभी बेज़बानों के पत्थर
चटकने लगे फिर चटानों के पत्थर
मुहब्बत तेरी दास्तानों के पत्थर
उठा लाये फिर हम फ़सानों के पत्थर
बड़ी आग फेंकी बड़ा ज़हर थूका
उगलता रहा वो गुमानों के…
ContinueAdded by Rahul Dangi Panchal on July 9, 2021 at 5:00pm — 9 Comments
2122 2122 2122 212
काँच के टुकडों में दे दे ज्यों कोई बच्चा मणी
आधुनिकता में कहीं खोया तो है कुछ कीमती।
हुस्न की हर सू नुमाइश़ चल रही है जिस तरह
बेहयाई दफ़्न कर देगी किसी की शायरी।
ताश, कन्चें, गुड्डा, गुड़िया छीन के घर मिट्टी के
लाद दी हैं मासुमों पर रद्दियों की टोकरी।
अब कहाँ हैं गाँव में वें पेड़ मीठे आम के
वे बया के घोसलें, वे जुगनुओं की रौशनी।
ले गयी सारी हया पश्चिम से आती ये हवा…
Added by Rahul Dangi Panchal on December 17, 2018 at 9:00pm — 6 Comments
2122 2122 2122 212
रोज के झगड़े, कलह से दिल अब उकता सा गया।
प्यार के बिन प्यार अपने आप घटता सा गया।
दफ़्न कर दी हर तमन्ना, हर दफ़ा,जब भी उठी
बारहा इस हादसे में रब्त पिसता सा गया।
रोज ही झगड़े किये, रोज ही तौब़ा किया
रफ़्ता रफ़्ता हमसे वो ऐसे बिछड़ता सा गया।
चाहकर भी कुछ न कर पाये अना के सामने
हाथ से दोनों ही के रिश्ता फिसलता सा गया।
छोडकर टेशन सनम को लब तो मुस्काते रहें
प्यार का मारा हमारा दिल तड़पता…
Added by Rahul Dangi Panchal on December 16, 2018 at 8:30pm — 4 Comments
2122 2122 2122 212
खुदकुशी बेहतर है ऐ दिल बेवफ़ा के साथ से
चाहो मत बढकर किसी को चाह की औकात से।
जिसकी ख़ातिर छोड़ दी दुनिया की सारी दौलतें
रख न पाया मन भी मेरा वो दो मीठी बात से ।
दे रहा है तुहमतें उल्टा मुझे ही बेवफ़ा
बेहया से क्या कहूँ मैं, क्या कहूँ इस जात से।
मैं समझता था मुहब्बत की सभी को हैं तलब
उसको तो मतलब है लेकिन और कोई बात से।
हैं मुसलसल शिद्दतें कुछ यूँ जुदाई की…
ContinueAdded by Rahul Dangi Panchal on December 1, 2018 at 3:30pm — 6 Comments
2122 2122 2122 2122
इस कदर बेबस हूँ मैं, लाचार हूँ इस ज़िन्दगी से
दोस्तों, मर भी नहीं सकता अभी, अपनी खुशी से।
क्या कहूँ, अपने लिए कुछ, दूसरों के वास्ते कुछ
कायदे तुमने लिखे है सोच बेहद दोगली से।
वक्त उन माँ-बाप को भी दे जरा, तेरे लिए
जो उभर पाये नहीं ताउम्र अपनी मुफ़लिसी से।
इश्क़ के सहरा में 'राहुल' प्यास से बदहाल यूँ हूँ
बूँद भर जल के लिए लिपटा हूँ काँटों की कली से।
मौलिक व अप्रकाशित ।
Added by Rahul Dangi Panchal on November 25, 2018 at 12:00pm — 6 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on June 12, 2016 at 9:07am — 2 Comments
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बेअसर हो गईं दवाएँ क्यूँ
काम आईं नहीं दुआएँ क्यूँ
हम ग़लत फ़हमियों में आएँ क्यूँ
दोस्त है वो तो आज़माएँ क्यूँ
आँख तक आँसुओं को लाएँ क्यूँ
ज़ब्त की एहमियत गिराएँ क्यूँ
साँस दर साँस एक ही सरगम
दूसरा गीत गुनगुनाएँ क्यूँ
जिसके सीने में दिल हो पत्थर का
उसकी चौखट पे गिडगिडाएँ क्यूँ
वक्त आने पे जान जाएगा
इश्क़ क्या है उसे बताएँ क्यूँ
हो गईं क्या समाअतें कमज़ोर
कोई सुनता नहीं सदाएँ…
Added by Rahul Dangi Panchal on May 16, 2016 at 12:00am — 12 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on March 18, 2016 at 8:10am — 3 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on March 13, 2016 at 9:00pm — 14 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on March 5, 2016 at 2:38pm — 2 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on February 29, 2016 at 1:16pm — 8 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on February 27, 2016 at 3:39pm — 6 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on January 24, 2016 at 10:30pm — 14 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on December 31, 2015 at 9:40pm — 5 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on September 14, 2015 at 2:12pm — 12 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on September 7, 2015 at 2:30pm — 14 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on August 31, 2015 at 3:16pm — 8 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on August 1, 2015 at 6:00pm — 9 Comments
सरसी मिलिन्दपाद छन्द ।
१६,११ पदान्त में (२१ गुरु,लघु)अनिवार्य
आज गुरुपूर्णिमा पर आदरणीय ओबीओ मंच को समर्पित ।
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हे जीवन पथ के निर्माता,तुम पे है अभिमान।
तुम ही मात-पिता हो मेरे,तुम ही हो भगवान।
तुम ने दीप ज्ञान का देकर,किया बडा आभार ।
जन्मों जनम तक भी न उतरे,तेरा ये उपकार।
ब्रह्मा,विष्णु,महेश,मुरारी,गुरु चरणों में राम।
तन,मन,धन,सब कुछ अर्पण कर,करूं गुरुवर प्रणाम ।
मौलिक व अप्रकाशित ।
Added by Rahul Dangi Panchal on July 31, 2015 at 10:30pm — 8 Comments
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