Added by amita tiwari on May 13, 2020 at 3:00am — 2 Comments
Added by amita tiwari on April 30, 2020 at 3:00am — 5 Comments
Added by amita tiwari on April 17, 2020 at 9:00am — 2 Comments
Added by amita tiwari on April 13, 2020 at 2:00am — 1 Comment
Added by amita tiwari on April 1, 2020 at 1:30am — 1 Comment
एक अवसर सा मानो हाथ आया जबरन
Added by amita tiwari on March 20, 2020 at 7:00pm — 1 Comment
समूची धरा बिन ये अंबर अधूरा है
ये जो है लड़की
हैं उसकी जो आँखे
हैं उनमें जो सपने
जागे से सपने
भागे से सपने…
Added by amita tiwari on March 4, 2020 at 1:07am — 2 Comments
किसी को कुछ नहीं होता
तोता पंखी किरणों में
घिर कर
गिर कर
फिर से उठ कर
जो दिवाकर से दृष्ष्टि मिलाई
तो पलक को स्थिती समझ नहीं आयी
ऐसा ही होता है प्राय
मन ही खोता है प्राय
बाकी किसी को कुछ नहीं होता
किसी को भी
प्रचंड की आँख में झांकना
कोई दृष्टता है क्या
केवल मन उठता है
प्रश्न प्रश्न उठाता है
लावे की लावे से
मुलाकात…
Added by amita tiwari on February 29, 2020 at 1:30am — 2 Comments
Added by amita tiwari on February 15, 2020 at 7:30pm — 5 Comments
Added by amita tiwari on February 9, 2020 at 9:00am — 2 Comments
Added by amita tiwari on January 29, 2020 at 1:30am — 1 Comment
पधार गए हो नए साल जो
खुश रहो औ ख़ुश रहने दो
आओ जीमो मौज मनाओ
जो जमा हुआ वो बहने दो
पथ भी रहें पंथी भी रहें
राहें भी दुश्वार न हों
सुरों मे गीत रहें न रहें…
Added by amita tiwari on January 4, 2020 at 4:00am — 4 Comments
कौन कहता है कि इतिहास कोईअदालत होती है
जिस में हार गयों की महज़ मुखाल्फत होती है
और यह भी कि
यह केवल विजयी का फलसफा लिखती है
सफे पर सफा लिखती है
इसलिए मान लिया जाना चाहिए
कि जीत यकीनन लाजिमी है
कैसे भी हो पर हो केवल विजय
लेकिन
शायद सही हो…
Added by amita tiwari on August 23, 2019 at 1:00am — 4 Comments
सुनो
वहम है तुमको
कि स्वर मिला स्वर में तुम्हारे.
मैं कृत -कृत हो जाऊंगी…
Added by amita tiwari on August 17, 2019 at 2:00am — No Comments
बूँद भर
आँख में ठहरा रहा
अश्रू सम बहरा रहा
विस्फरित हो तन गया
बूँद भर जल बन गया
कह दिया न कहना था जो
न सहा वो सहना था जो
था ही क्या जो कह गया
मन बेमन हो रह गया
एक ताला बनती चाबी
प्रश्न- माला कितनी बांची
कैसे झटका सह गया
मोती -मोती कह गया
कैसे -कैसे मन ने टाला
मन ही ने लेकिन उछाला
झरना सा सब झर गया
बूँद भर जल रह…
ContinueAdded by amita tiwari on August 1, 2019 at 1:30am — 3 Comments
Added by amita tiwari on July 13, 2019 at 1:00am — 2 Comments
Added by amita tiwari on July 7, 2019 at 2:30am — 3 Comments
Added by amita tiwari on March 23, 2019 at 12:30am — 1 Comment
Added by amita tiwari on December 31, 2018 at 8:38pm — 4 Comments
जहाँ सपने थे
लोग अपने थे
वह धरती कब की छूट गयी
भीड़ थी पर ठावँ थी
धूप थी संग छावं थी
वह धरती कब की छूट गयी
जनक थे जननी थी
बसेरा था रहनी थी
वह धरती कब की छूट गयी
जो छूट गये
जो रूठ गये
वही आस पास है
यह कैसे एहसास है ?
.
मौलिक व अप्रकाशित"
Added by amita tiwari on November 25, 2018 at 8:30pm — 3 Comments
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