मौलिक एवं अप्रकाशित
मेरे पूर्वज भारत से आये थे इतना सुनकर
मारीच में सोना मिलता है पत्थर पलटकर
उन्नीसवीं सदी का दौर था,
अंग्रेज़ों का कठोर राज था,
हर दिशा हाहाकार मचा था,
बिहार से हर कोई भाग रहा था.
प्रथम पग रखे जब मारीच के रेतीले धरती पर
उन्हें क्या पता कि वे लाये गये ठगकर
बंद कोठरी में वे कितने दिन पड़े थे,
आदमी जानवर की तरह गिने जाते थे,
जिससे डर के इतने दूर भागे…
ContinueAdded by coontee mukerji on March 4, 2013 at 2:18pm — No Comments
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