बहर 1222 1222 1222 1222
करें स्वागत सभी मिल के, नये इस वर्ष सतरह का;
नये सपने नये अवसर, नया ये वर्ष लाएगा।
करें सम्मान इसका हम, नई आशा बसा मन में;
नई उम्मीद ले कर के, नया ये साल आएगा।
मिला के हाथ सब से ही, सभी को दें बधाई हम;
जहाँ हम बाँटते खुशियाँ, वहीं बाँटें सभी के ग़म।
करें संकल्प सब मिल के, उठाएँगे गिरें हैं जो;
तभी कुछ कर गुजरने का, नया इक जोश छाए गा।
दिलों में मैल है बाकी, पुराने साल का कुछ गर;
मिटाएँ उसको पहले हम, नये…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on December 31, 2016 at 12:00pm — 12 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on December 2, 2016 at 12:00pm — 8 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on November 21, 2016 at 6:30pm — 6 Comments
बहर :- 2212 2212 2212 2212
(हरिगीतिका छंद)
अनमोल क्षण जीवन के जो मन में बसा हरदम रखें,
जो जिंदगी के खाश पल उर से लगा हरदम रखें।
जिन याद से मस्तक हमारा शान से ऊँचा उठे,
उन याद के ख्वाबों को सीने में जगा हरदम रखें।
सन्तोष जो हमको मिला जब स्वप्न पूरे थे हुए,
उन वक्त के रंगीन लमहों को बचा हरदम रखें।
जब कुछ अलग हमने किया सबने बिठाया आँख पे,
उन वाहवाही के पलों को हम सजा हरदम रखें।
जो आग दुश्मन ने लगाई देश में आतंक…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on November 3, 2016 at 10:30am — 3 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 30, 2016 at 11:55am — 3 Comments
वागीश्वरी सवैया (122×7 + 12)
दया का महामन्त्र धारो मनों में,दया से सभी को लुभाते चलो।
न हो भेद दुर्भाव कैसा किसी से,सभी को गले से लगाते चलो।
दयाभूषणों से सभी प्राणियों के,मनों को सदा ही सजाते चलो।
दुखाओ मनों को न थोड़ा किसी का,दया की सुधा को बहाते चलो।
कलाधर छंद (गुरु लघु की 15 आवृति के बाद गुरु)
मोह लोभ काम क्रोध वासना समस्त त्याग, पाप भोग को मनोव्यथा बना निकालिए।
ज्ञान ध्यान दान को सजाय रोम रोम मध्य, ध्यान ध्येय पे रखें तटस्थ हो…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 25, 2016 at 6:30pm — 9 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 8, 2016 at 1:04pm — 5 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 2, 2016 at 7:17pm — 10 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on September 25, 2016 at 11:30am — 8 Comments
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