बूंदों का बरसना यूं बिजली का कड़कना
कुछ याद पुरानी सी तड़पा के हमको चली गयी
बात हल्की सी थी बिल्कुल फुहारों की तरह
अनसुनी सी कानो में सुना के वो चली गयी
एक मुद्दत से हमने अश्कों को छुपा रक्खा था
बेदर्द थी बारिश आज हमे रुला के चली गयी
आज मस्ती थी बड़ी झूमता हर एक ग़म था
छत फूटी थी मेरी बि स्तर भींगा के चली गयी
पक्के मकान को गर्मी से जैसे राहत थी मिली
फुटपाथ के बर्तन को संग बहा के चली गयी
नांव से खेलते थे बच्चे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 24, 2022 at 10:21am — No Comments
बूंदों का बरसना यूं बिजली का कड़कना
कुछ याद पुरानी सी तड़पा के हमको चली गयी
बात हल्की सी थी बिल्कुल फुहारों की तरह
अनसुनी सी कानो में सुना के वो चली गयी
एक मुद्दत से हमने अश्कों को छुपा रक्खा था
बेदर्द थी बारिश आज हमे रुला के चली गयी
आज मस्ती थी बड़ी झूमता हर एक ग़म था
छत फूटी थी मेरी बि स्तर भींगा के चली गयी
पक्के मकान को गर्मी से जैसे राहत थी मिली
फुटपाथ के बर्तन को संग बहा के चली गयी
नांव से खेलते थे बच्चे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 24, 2022 at 10:20am — No Comments
दिलबर है ना तो कोई रहबर है
हाल-ऐ-दिल सुनाए तो किसको
मिले हमसा हमको इस जहां में
खोल के ये दि ल दि खाए उसिको
फासले दरम्यान है हम दोनों के लेकि न
कदम न चले तो मिटेंगे वो कैसे
उन रेलों की पटरी को देखा है मैंने
मिलते नहीं पर संग चलते है जैसे
जो हम न रहे तो रोओगे तुम भी
दि ल से हमे तुम भुलाओगे कैसे
बदन पे तुम्हा रे जो लि ख गया है
मेरा नाम अब तुम मिटाओगे कैसे
है सपना अगर ये तो सोने हो दोना
अगर जग गया मैं तो पाओगे तुम…
Added by AMAN SINHA on February 23, 2022 at 1:39pm — 3 Comments
थक गया हूँ झूठ खुद से और ना कह पाऊंगा
पत्थरों सा हो गया हूँ शैल ना बन पाऊंगा
देखते है सब यहाँ पर अजनबी अंदाज़ से
पास से गुजरते है तो लगते है नाराज़ से
बेसबर सा हो रहा हूँ जिस्म के लिबास में
बंद बैठा हूँ मैं कब से अक्स के लिहाफ में
काटता है खलीपन अब मन कही लगता नहीं
वक़्त इतना है पड़ा के वक़्त ही मिलता नहीं
रात भर मैं सोचता हूँ कल मुझे कारना है क्या
है नहीं कुछ हाथ मेरे सोच के डरना है क्या
टोक न दे कोई मुझको मेरी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 22, 2022 at 3:48pm — No Comments
अंजाना सफर तनहाई का डेरा
उदासी का दिल मेंं था उसके बसेरा
साँवली सी आंखो पर पालकों का घेरा
भुला नहीं मैं वो चमकता सा चेहरा
आंखे भरी थी और लब सील चुके थे
दगा उसके सीने मे घर कर चुके थे
था कहना बहूत कुछ उसको भी लेकिन
धोख़े के डर से वो लफ्ज जम चुके थे
हाले दिल चेहरे पर दिखता था यू हीं
के ग़म को छुपाने की कोशि श नहीं थी
दिल चाहता तो था संग उसके चलना
मगर साथ चलने की कोशि शनहीं थी
कहा कुछ…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 21, 2022 at 3:30pm — No Comments
जो कही नहीं तुम से, मैं वो ही बात कहता हूँ
चलो मैं भी तुम्हारे संग कदम दो चार चलता हूँ
चाहत थी यही मेरी के तू भी साथ चल मेरे
न बंदिश हो ना दूरी हो राहूँ जब साथ मैं तेरे
लूटा दूँ ये जवानी मैं बस इस दो पल की यादों मे
छुपा लूँ आँ खमे अपने न बहने दूँ मैं पानी मे
कहता हूँ जो नज़रों से जुबा से कह ना पाऊँगा
हूँ रहता साथ मैं हरदम पर…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 18, 2022 at 1:53pm — 1 Comment
यूँ जो दिल खोलकर मिल रही हो तुम
लगता है के अब मैं तुमको बिल्कुल याद नही
ऐसा होता है निकाह के बाद अक्सर
ऐसा होने मे कोइ गलत बात नही
अब मेरे खयालों से आज़ाद हो तुम
किसी और के साथ आबाद हो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on November 11, 2021 at 11:00am — No Comments
हर संगदिल को दिल का पता बता दिया
जितने बेवफा मिले सबको घर दिखला दिया
सभी ने छोड़ दिया जिस ग़म को खुशी के खातिर
हमे जहाँ भी दिखा,उसे हंसके गले लगा लिया
साथ हो दर्द तभी जीने का मज़ा आता है
ग़म जुदाई का हो तो पीने का मज़ा आता है
छुपा के रख सके जो दर्द को जहन मे अपने
ज़ख्मों को सीने का मज़ा बस उसी को आता है
खुशी है बुलबुला एक दिन फूट जाएगा
हंसाया इसने जितना, उतना ही रुलाएगा
हमसफर है सच्चा ग़म ही अपना यारों
जो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 1, 2021 at 11:30am — 1 Comment
रगो मे खून बनकर तेरे, यूँ “जुनून” बहता है
बिना मंज़िल के ना रुकना, ये सुकून कहता है
हुआ क्या राहों मे तेरे, जो बस पत्थर ही पत्थर है
चूमेंगे पाँव वो तेरे ये “जुनून” तुझसे कहता है
है मुश्किल सफर तेरा ये, गलियां तुझसे कहती है
चुनी ये राह जिसने भी, गुमान दुनिया करती है
तू देख कर चट्टानों को कभी हिम्मत नहीं खोना
पल भर की नाकामी पर तू भूल कर भी नहीं रोना
पहाड़ो मे सुराख कर दे, ये हिम्मत बस तुझी मे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 30, 2021 at 10:00am — 7 Comments
वो जहां पर असमा और धरा मिल जाते है
छोर मिलते ही नहीं पर साथ में खो जाते है
है यही वो स्थान जिसका अंत ही नहीं
मिल गया या खो गया है सोचते है सब यही
सबको है चाह इसकी पर राह का पता नहीं
बिम्ब या प्रतिबिम्ब है ये भ्रम सभी को है यही
कामना को पूर्ण करने श्रम छलांगे भरता है
मरीचिका के जाल में जैसे मृग कोई भटकता है
है धरा का अंत वही जिस बिंदु से शुरुआत है
यात्रा अनंत इसकी कई युगों की बात है
ओर ना है छोर इसका शुन्य सा आकाश है
जिसका जग को…
Added by AMAN SINHA on September 27, 2021 at 10:36am — 3 Comments
कुछ बदला-बदला सा ये जहां नज़र आता है,
राह अब भी है वही पर, अजनबी सा नज़र आता है
तन तो हमेशा ही अपना था मगर,
न जाने क्यों अब पराया सा नज़र आता है
ज़िंदगी को हमने कुछ यूं गुज़रते देखा
जैसे रेत को बंद मुट्ठी से फिसलते देखा
ज़ोर जितना भी लगाया रोकने मे उसे
छोटे से छेद से जिंदगी को निकलते देखा
एक आहट सी हुई किसी के आने की जैसे
साँसो मे घुल सी गयी किसी की खुशबू जैसे
इस खुशबू से मेरा वास्ता एक अरसे से रहा
रूह…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 22, 2021 at 10:00am — 5 Comments
दर्द है तो दिखने दो, आँख से आँसू बहने दो
किसने रोका है तुमको, जो रोना है तो रो लेने दो
कब तक तुम रोके रखोगे, उन भूली बिसरी यादों को
दिल के कोने मे दबी है जो, न रोको उस चिंगारी को
रोकोगे दिल भर जाएगा, घुट-घुट के दम घुट जाएगा
गुब्बारे सा है दिल अपना, भर गया जो फिर फट जाएगा
अरमानों की कोई गठरी हो, या तेज़ घोर दोपहरी हो
चिंता मे तुम जो ना घिरे, तुम अपने जाल के मकड़ी हो
बस कर खुदको दोष न दे, जो गुम है खुदको होश…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 21, 2021 at 10:20am — 4 Comments
तू खुद ही जुदा हो जा मुझसे अब यही बेहतर है
इश्क़ किया था तुझसे नफरत मुमकिन नहीं होगी
तेरे यादों का आशियाँ बनाए बैठे है हम कब से
प्यार की दुनिया को जलाने की हिम्मत नहीं होगी
कैसे करूँ नफरत तुझसे, बता ऐ ज़िंदगी
तुझे भूलने की हमसे कोशिश भी नहीं होगी
अब तू ही मेरी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 16, 2021 at 10:30am — No Comments
राह में मैं एक दफा, खुद से हीं टकरा गया
अक्स देखा खुद का तो, होश मुझको आ गया
दूसरो को दूँ नसीहत, काबिलियत मुझमे नहीं
आँख औरों को दिखाऊं, हैसियत इतनी नहीं
आईने में खुद का चेहरा, रोज ही तकता हूँ मैं
मैं भला हूँ झूठ ये भी, खुदसे ही कहता हूँ मैं
अपने फैलाये भरम में, हर घडी रहता हूँ मैं
सोच की मीनारों पर, बस पूल बांधता हूँ मैं
बातों में मेरी सच की, दूर तक झलक नहीं
इस जमी मिलता जैसे, दूर तक फलक नहीं
क्या गलत है…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 15, 2021 at 12:00pm — 2 Comments
गा रहा हूँ मैं आज, अपने ग़म सभी भुलाने को
हौसला शराब का है, हाल-ए-दिल सुनाने को
राज दिल में लाखो अपने, आज सबको खोलना है
लोग रुस्वा हो भले ही, एक- एक कर बोलना है
मर गए तो क्या मरेंगे, जी कर भी करना है क्या?
कुछ ना उससे राबता है, अब भला डरना है क्या?
आज अपनी बेहयायी, सबको…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 14, 2021 at 10:12am — No Comments
सर झुका दूँ तेरे दर पर, ये मुझे करना नहीं
जान दे दूं हंस के लेकिन डर के है मरना नहीं
हाँथ जोडू पैर पकड़ूँ न तेरी मिन्नत करूँ
अपने ख़ातिर तेरे आगे डर के न तौबा करूँ
तू ने ही बनाया सबको जो ये चाहे सोच ले
तेरे ही लिखे पे फिर क्यों तेरा ही ना बस चले
तू अगर अगर है जन्मदाता सबका पालन हार है
जो दबे हैं उनपर दुःख का क्यों तोड़ता पहाड़…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 13, 2021 at 10:07am — 4 Comments
ज़िम्मेदारी के बोझ ने कभी सोने ना दिया
चोट जितनी भी लगी हो मगर रोने न दिया
घर से दूर रहा मैं जिनकी हंसी के ख़ातिर
अपना जितना भी बनाया पर अपना होने न दिया
सुबह की धुप न देखी, चाँदनी छु न सका
गुज़रा दिन भी अंधेरे मे, उजाला ना देख सका
तलब थी चैन से सोने की किसी की बाहों मे
जब भी घर मैं लौटा, पनाह पा ना सका
दो ठिकानो के बीच ही बसर मैं करता रहा
सभी खुश थे इसी से मैं सब्र करता रहा
जलाकर खून जो अपना रोटी कमाई थी
पेट सभी का भरा, मैं मगर आधा ही…
Added by AMAN SINHA on September 10, 2021 at 10:13am — 2 Comments
जो कही नहीं तुमसे, मैं वो ही बात कहता हूँ
चलो मैं भी तुम्हारे संग कदम दो चार चलता हूँ
चाहत थी यही मेरी तू भी साथ चल मेरे
न बंदिश हो ना दूरी हो रहूँ जब साथ मैं तेरे
लूटा दूँ ये जवानी मैं बस इस दो पल की यादों में
छुपा लूँ आखँ में अपने न बहने दूँ मैं पानी में
दिखाता हूँ जो नज़रों से, जुबा से कह ना पाऊँगा
हूँ रहता साथ मैं हरदम पर तेरा हो ना पाऊँगा
हक़ीक़त है यही मेरी मैं तुझसे प्यार करता हूँ
तू वाकिफ है मेरे सच से मैं कितना तुझपे मरता…
Added by AMAN SINHA on September 6, 2021 at 12:28pm — 4 Comments
अंजाना सफर तनहाई का डेरा
उदासी का दिल मे था उसके बसेरा
साँवली सी आंखो पर पालको का घेरा
भुला नहीं मैं वो चमकता सा चेहरा
आंखे भरी थी और लब सील चुके थे
दगा उसके सीने मे घर कर चुके थे
था कहना बहूत कुछ उसको भी लेकिन
धोखे के डर से वो लफ्ज जम चुके थे
हाले दिल चेहरे पर दिखता था यू हीं
के ग़म को छुपाने की कोशिश नहीं थी
दिल चाहता तो था संग उसके चलना
मगर साथ चलने की कोशिश नहीं थी
कहा कुछ नहीं पर समझा दिया सब
ना बाकी रहा…
Added by AMAN SINHA on September 4, 2021 at 11:55am — 2 Comments
हमें पाकर भी उन्हें क्या मिलेगा
पल भर की खुशी फिर रोज़ हीं जलेगा
चाहे कहे या ना कहे वो होठों से मगर
ये सिलसिला तो अब रोज़ हीं चलेगा
नही पता उसने ऐसा क्यों किया
हमें जानकर भी अपना दिल क्यों दिया
ज़ख़्म उसे सुकून देते हैं शायद
तभी उसने दर्द से अपना दामन भर लिया
मेरी लाख लानतों के बाद भी
क्यों वो हर रोज़ चला आता है
लगता है उसे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 2, 2021 at 11:00am — 6 Comments
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