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Shikha kaushik's Blog – November 2012 Archive (8)

औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है

Muslim_man : Muslim Arabic couple inside the modern mosque Stock Photo stock photo : Young brunette beauty or bride, behind a white veil

मर्द बोला हर एक फन मर्द में ही होता है ,

औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है .



फ़िज़ूल बातों में वक़्त ये करती जाया ,

मर्द की बात में कितना वजन होता है !



हम हैं मालिक हमारा दर्ज़ा है उससे ऊँचा ,

मगर द्गैल को ये कब सहन होता है ?



रहो नकाब में तुम आबरू हमारी हो ,

बेपर्दगी से बेहतर तो कफ़न होता है .



है औरत बस फबन मर्द के घर की 'नूतन'

राज़ औरत के साथ ये भी दफ़न होता है…

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Added by shikha kaushik on November 27, 2012 at 1:30pm — 9 Comments

परिवार की इज्ज़त -लघु कथा

'स्नेहा....स्नेहा ....' भैय्या  की कड़क आवाज़ सुन स्नेहा रसोई से सीधे उनके कमरे में पहुंची .स्नेहा से चार साल बड़े आदित्य  की आँखें  छत  पर घूमते पंखें पर थी और हाथ में एक चिट्ठी थी .स्नेहा के वहां पहुँचते ही आदित्य ने घूरते हुए कहा -''ये क्या है ?' स्नेहा समझ गयी मयंक की चिट्ठी भैय्या के हाथ लग गयी है .स्नेहा ज़मीन की ओर देखते हुए बोली -'भैय्या मयंक बहुत अच्छा ....'' वाक्य पूरा कर भी न पायी थी  कि   आदित्य ने  जोरदार तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया और स्नेहा चीख पड़ी ''…

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Added by shikha kaushik on November 24, 2012 at 10:30pm — 7 Comments

शौहर की मैं गुलाम हूँ बहुत खूब बहुत खूब

 stock photo : Portrait of a cute young woman Saudi Arabian stock photo : Beautiful brunette portrait with traditionl costume. Indian style

 

शौहर की मैं गुलाम हूँ  बहुत खूब बहुत खूब ,

दोयम दर्जे की इन्सान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब .

 

कर  सकूं उनसे बहस बीवी को इतना हक कहाँ !

रखती बंद जुबान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !

 

उनकी नज़र में है यही औकात इस नाचीज़ की ,

तफरीह का मैं सामान…

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Added by shikha kaushik on November 23, 2012 at 12:30pm — 16 Comments

अपमानों के अंधड़ झेले ; छल तूफानों से टकराए

अपमानों के अंधड़ झेले ;

छल तूफानों से टकराए ,

कंटक पथ पर चले नग्न पग

तब हासिल हम कुछ कर पाए !



आरोपों की कड़ी धूप में

खड़े रहे हम नंगे सिर ,

लगी झुलसने आस त्वचा थी

किंचित न पर हम घबराये !



व्यंग्य-छुरी दिल को चुभती थी ;

चुप रहकर सह जाते थे ,

रो लेते थे सबसे छिपकर ;

सच्ची बात तुम्हे बतलाएं !



कई चेहरों से हटे मखौटे ;

मुश्किल वक्त में साथ जो छोड़ा ,

नए मिले कई हमें हितैषी

जो जीवन में खुशियाँ लाये… Continue

Added by shikha kaushik on November 21, 2012 at 11:19pm — 9 Comments

मुझे ऐसे न खामोश करें

 

 

आज मुंह खोलूंगी मुझे ऐसे न खामोश करें ,

मैं भी इन्सान हूँ मुझे ऐसे न खामोश करें !

तेरे हर जुल्म को रखा है छिपाकर दिल में ,

फट न जाये ये दिल कुछ तो आप होश करें !…

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Added by shikha kaushik on November 15, 2012 at 7:02pm — 3 Comments

'' हुज़ूर इस नाचीज़ की गुस्ताखी माफ़ हो ''

हुज़ूर इस नाचीज़ की गुस्ताखी माफ़ हो ,

आज मुंह खोलूँगी हर गुस्ताखी माफ़ हो !



दूँगी सबूत आपको पाकीज़गी का मैं ,

पर पहले करें साबित आप पाक़-साफ़ हो !



मुझ पर लगायें बंदिशें जितनी भी आप चाहें ,

खुद पर लगाये जाने के भी ना खिलाफ हो !



मुझको सिखाना इल्म लियाकत का शबोरोज़ ,

पर पहले याद इसका खुद अलिफ़-काफ़ हो !



खुद को खुदा बनना 'नूतन' का छोड़ दो ,

जल्द दूर आपकी जाबिर ये जाफ़ हो !

            …

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Added by shikha kaushik on November 7, 2012 at 1:00pm — 5 Comments

वैदेही सोच रही मन में यदि प्रभु यहाँ मेरे होते !!

वैदेही सोच रही मन में यदि प्रभु यहाँ मेरे होते 

लव-कुश की बाल -लीलाओं का आनंद प्रभु संग में लेते .



जब प्रभु बुलाते लव -कुश को आओ पुत्रों समीप जरा ,

घुटने के बल चलकर जाते हर्षित हो जाता ह्रदय मेरा ,

फैलाकर बांहों का घेरा लव-कुश को गोद उठा लेते !

वैदेही सोच रही मन में यदि प्रभु यहाँ मेरे होते !!



ले पकड़ प्रभु की ऊँगली जब लव-कुश चलते धीरे -धीरे ,

किलकारी दोनों…

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Added by shikha kaushik on November 3, 2012 at 11:30pm — 9 Comments

नादानों मैं हूँ ' भगत सिंह '- बस इतना कहने आया था !!!

कैप्शन जोड़ें

इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता है .शहीद…

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Added by shikha kaushik on November 1, 2012 at 2:00pm — 4 Comments

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