For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रखे मुझको भी हरदम बाख़बर कोई मेरे मौला

रखे मुझको भी हरदम बाख़बर कोई मेरे मौला 

बड़े भाई के जैसा हो बशर कोई मेरे मौला 

 

हुआ घायल बदन मेरा हुए गाफ़िल कदम मेरे

मेरे हिस्से का तय करले सफ़र कोई मेरे मौला

 

मुझे तड़पा रही है बारहा क्यूं छाँव की लज्ज़त

बचा है गाँव में शायद शजर कोई मेरे मौला

 

उदासी के बियाबाँ को जलाकर राख कर दे जो

उछाले फिर तबस्सुम का शरर कोई मेरे मौला

 

खड़ा हूं आइने के सामने हैरतज़दा होकर

इधर कोई मेरे मौला उधर कोई मेरे मौला

 

मेरी तक़दीर में लिक्खी न होती ठोकरें इतनी

अगर मुझमें रहा होता हुनर कोई मेरे मौला

 

मुझे मालूम हैं ‘खुरशीद’ होने के फ़राइज़ भी   

न रक्खूंगा उजालों में कसर कोई मेरे मौला

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 663

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on September 24, 2014 at 10:15pm

बहुत खुबसुरत

Comment by Santlal Karun on September 21, 2014 at 9:03pm

आदरणीय खैरादी जी,

सिद्ददत से रची इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! --

"मुझे तड़पा रही है बारहा क्यूं छाँव की लज्ज़त

बचा है गाँव में शायद शजर कोई मेरे मौला"


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 21, 2014 at 8:42pm

खड़ा हूं आइने के सामने हैरतज़दा होकर

इधर कोई मेरे मौला उधर कोई मेरे मौला

क्या खूब बात कही भाई खुर्शीद जी , वाह !! ढेरों दाद क़ुबूल फरमाएं |

Comment by भुवन निस्तेज on September 21, 2014 at 3:50pm

खड़ा हूं आइने के सामने हैरतज़दा होकर

इधर कोई मेरे मौला उधर कोई मेरे मौला

आदरणीय खुर्शीद भाई इस बेहद उम्दा ग़ज़ल के लिएबेहद बधाई ...

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on September 21, 2014 at 2:33pm

बहुतउम्दा गजल है बधाई

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 21, 2014 at 12:00pm

खुर्शीद भाई

जितना समझ पाया उतने में मजा आया i पर उर्दू के कुछ कठिन शब्द से बाधा हुयी i आप इनके अर्थ प्रस्तुति के साथ दे सकते  है i बाहुनर कलम की दाद  देता हूँ i  सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service