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ज़िन्दगी तूने हमे खूब क्या जलाया है,\ जब किसी दोस्त ने हमको गले लगाया है, \ मुझको मॉं बाप के आशीष ने बनाया है \ इन पंक्तियों में 2122-212-212- 1222 का वज्न है आपको यदि उचित लगी तो इसी वज्न में पूरी रचना बदल सकते है. भाव अच्छे है . सादर
अनुराग जी
आपको भाव पर दाद मिली है शिल्प् पर नहीं i आ० बागी जी का प्रश्न गौर करे i सादर i
सुन्दर भाव हैं आपके..आदरणीय
अच्छी भावाभिव्यक्ति है आदरणीय अनुराग जी
अनुराग जी, वजन क्या लिया है ?
वार हर बार तो होते ही रहे पीछे से
जब किसी दोस्त ने हमको गले लगाया है
कोई तो एब हमारा ही रहा होगा ही
हमने हरबार जो रूठों को फिर मनाया है
आज फुर्सत मे जो बैठा तो ध्यान आया है
हमने क्या खो दिया है और क्या बनाया है......सुन्दर प्रस्तुति अनुराग सिंह "ऋषी" जी, बधाई आपको !
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