For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीतिका ... ८+८+६ २२-२२-२२-२२-२२-२.....आ जायें

इस होली पर रंग लगाने आ जायें

बचपन के कुछ यार पुराने आ जायें

 

होली-फागुन बरखा-सावन या जाड़ा

यादें तेरी ढूंढ बहाने आ जायें

 

दीवाने हो झूमा करते थे जिन पर

होठों पर वे मस्त तराने आ जायें

 

होली सुलगे भस्म न हो प्रहलाद कभी

सब नेकी का साथ निभाने आ जायें

 

सतरंगी थे इनके वादे कल यारों

लोग सियासी आज निभाने आ जायें

 

जीवन में हो पागलपन भी थोड़ा सा

दीवानों के संग सयाने आ जायें

 

रंग-ए-मुहब्बत घोल रखा है हमने तो

वादा अपना आप निभाने आ जायें

 

हाथों में मनमोहन के है पिचकारी

सखियाँ सारी रास रचाने आ जायें

 

धूप गुलाबी चाँदी जैसी जुन्हाई

फिर से वे दिन रात सुहाने आ जायें

 

वे टेसू के फूल शरारे जैसे फिर

उन होठों की याद दिलाने आ जायें

 

गाँवों का ‘खुरशीद’ रहे क्यूं तन धूसर

चाँद सितारे नूर सजाने आ जायें   

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 506

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 12, 2015 at 12:14pm

आदरणीय खुर्शीद भाई,
होली की अलमस्ती में डूबी इस खुश-खुश ग़ज़ल केलिए बहुत-बहुत बधाई.
इन शेरों के लिए तो दिल बार-बार शुभ-शुभ कह रहा है.
 
जीवन में हो पागलपन भी थोड़ा सा
दीवानों के संग सयाने आ जायें

धूप गुलाबी चाँदी जैसी जुन्हाई
फिर से वे दिन रात सुहाने आ जायें

वे टेसू के फूल शरारे जैसे फिर
उन होठों की याद दिलाने आ जायें

हालाँकि आपकी इस ग़ज़ल पर विलम्ब से आ रहा हूँ लेकिन यहाँ आना अब भी पुलकित कर रहा है.
ढेर सारी मंगलकामनाएँ

Comment by Hari Prakash Dubey on March 5, 2015 at 9:45pm

आदरणीय खुर्शीद खैरादी साहब कमाल की  रचना है ,हार्दिक बधाई आपको ! सादर 

इस होली पर रंग लगाने आ जायें

बचपन के कुछ यार पुराने आ जायें... 

होली सुलगे भस्म न हो प्रहलाद कभी

सब नेकी का साथ निभाने आ जायें....बहुत ही बढ़िया भाव ..शानदार !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 5, 2015 at 9:12pm

वे टेसू के फूल शरारे जैसे फिर

उन होठों की याद दिलाने आ जायें--------------- bahut achchhee gajal  I vaah vaah khursheed bhayee

Comment by Shyam Narain Verma on March 5, 2015 at 10:58am
उम्दा छंद रचना के लिए बधाई आपको |
Comment by vandana on March 4, 2015 at 9:07pm

 

होली सुलगे भस्म न हो प्रहलाद कभी

सब नेकी का साथ निभाने आ जायें

 

धूप गुलाबी चाँदी जैसी जुन्हाई

फिर से वे दिन रात सुहाने आ जायें

  

गाँवों का ‘खुरशीद’ रहे क्यूं तन धूसर

चाँद सितारे नूर सजाने आ जायें   

वाह आदरणीय बहुत बढ़िया ग़ज़ल 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 4, 2015 at 9:02pm
धूप गुलाबी चाँदी जैसी जुन्हाई
फिर से वे दिन रात सुहाने आ जायें
बहुत खूब, सुन्दर. बहुत बहुत बधाई , आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी , सादर।
Comment by Neeraj Neer on March 4, 2015 at 7:50pm

वाह बहुत सुंदर 

होली सुलगे भस्म न हो प्रहलाद कभी

सब नेकी का साथ निभाने आ जायें .... बहुत सुंदर संदेश ... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service