For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

22 22 22 2
भले ही' मैं अंजाना हूँ
सारी बात समझता हूँ

कड़वा चाहे लगता हूँ
सच की रो में बहता हूँ।

सुख दुख के हर पहलू को
चुपके-चुपके सहता हूँ।

बोल रहा उनके आगे
जिनको सुनता आया हूँ।

काम बहुत करना मुझको
लेकिन मैं अलसाया हूँ।

जख्म नहीं हूँ दे सकता
जब मरहम के जैसा हूँ

देख भुलाकर रंजो गम
गुल बनकर फिर महका हूँ।

जिससे धारा फ़ूट पड़े
टूटा वही किनारा हूँ।

आँखों में क्या ढूँढ रहे
दिल के अंदर रहता हूँ।

राह सफर सब लंबे हैं
चलने को ही ठहरा हूँ।

भीड़ भरी सब राहों में
*अपनी धुन में रहता हूँ।*

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 521

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 22, 2017 at 8:17pm
आदरणीय दिनेश भाई अनुमोदन एवं प्रोत्साहन के लिए तहेदिल शुक्रिया!
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन के लिए तहेदिल शुक्रिया,वांछित परिमार्जन कर लिया गया है।सादर
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी ज़र्रानवाज़ी के लिए तहेदिल शुक्रिया
आदरणीय शिज्जु शकूर जी सादर नमन,मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन के लिए तहेदिल शुक्रिया
आदरणीय समर कबीर जी,आदरणीय मिथिलेश जी,आदरणीय जयनित भाई आप सबको सादर आभार संग हारदिक नमन।यथोचित प्रयास किया है परिमार्जन के लिए।आप सबके सुझाव अनुरूप सही हुआ होगा ऐसी आशा है।सादर
Comment by जयनित कुमार मेहता on February 9, 2017 at 9:17pm
आदरणीय सतविंद्र जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। परिमार्जन की संभावनाओं को गुणीजन इंगित कर ही चुके हैं, आशा है आप उनका लाभ उठाएंगे। सादर।।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 8, 2017 at 3:57pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है. हार्दिक बधाई. बाकी गुनीजन कह ही चुके हैं. सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 7, 2017 at 4:50pm

आदरणीय सतविंदर जी इस सुंदर छोटी बिधा में लगी सुन्दर ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Samar kabeer on February 6, 2017 at 6:01pm
जनाब सतविन्दर कुमार'राणा'साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
जनाब रक्ताले साहिब और जनाब शिज्जु साहिब से सहमत हूँ ।
चौथे शैर का ऊला बह्र में नहीं :-
'बोल रहा हूँ उनके आगे'
"बोल रहा उनके आगे"

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 6, 2017 at 5:47pm

आ. सतविंद्र कुमार जी छोटी बह्र में तरही ग़ज़ल अच्छी हुई है, ये कुछ सुझाव हैं यदि मुनासिब लगे

काम बहुत करना मुझको
लेकिन मैं अलसाया हूँ।

निम्नलिखित शेर का अर्थ कुछ साफ नहीं है,
जख्म नहीं हूँ दे सकता
बस मरहम के जैसा हूँ

Comment by Mohammed Arif on February 6, 2017 at 5:39pm
आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी आदाब, बेहरीन ग़ज़ल हुई है । तहेदिल से बधाई ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on February 6, 2017 at 1:25pm

आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, हुस्ने मतला तो जोरदार है किन्तु मतला कुछ कमजोर लग रहा है. बाकी अशआर खूबसूरत हुए हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. 

जिससे धारा फ़ूट पड़े
टूटा एक किनारा हूँ।.........'एक' की जगह 'वही' यहाँ अधिक उपयुक्त होता. सादर. 

 

Comment by दिनेश कुमार on February 6, 2017 at 7:00am
अच्छी ग़ज़ल हुई है आ सतविंदर भाई। वाह वाह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
7 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
13 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
16 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
29 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
35 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
18 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service