For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम है क्या कुछ भी नहीं, ईश अंश ही सार,

मन के भीतर रोंप दे, सद आचार विचार |

 

त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास

माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |

 

समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,

भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |

 

समीकरण बैठा सके, बहिर्मुखी वाचाल,

संख्या उनके मित्र की, होती बहुत विशाल |

 

घंटों उठते बैठते, कछु न मदद की आस,

समय गुजारे व्यर्थ में, दोस्त नहीं वे ख़ास |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 790

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विजय मिश्र on February 3, 2014 at 10:08am
आदरणीय लक्ष्मणजी , मित्रता का इस दौर में जो स्वरुप है , इन दोहों में वास्तविक चित्र उभारे आपने और इस दोहे में समझाया भी , आभार |

समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,
भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 3, 2014 at 9:48am

आदरणीय लक्ष्मण भाई, 

सुंदर दोहे , हार्दिक बधाई॥

Comment by बृजेश नीरज on February 2, 2014 at 10:25pm

सुन्दर दोहे! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by coontee mukerji on February 2, 2014 at 3:36pm

घंटों उठते बैठते, कछु न मदद की आस,

समय गुजारे व्यर्थ में, दोस्त नहीं वे ख़ास.....बहुत सुंदर कहा है.....बहुत से लोग न अपने समय की कीमत जानते है दूसरों की....हार्दिक बधाई . सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 2, 2014 at 12:13pm

हार्दिक आभार श्री बैद्यनाथ सारथि जी एवं श्री जितेन्द्र गीत जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 2, 2014 at 9:52am

जीवन में सही साथी की पहचान हेतु बहुत सटीक सार्थक दोहे, यह दोहा बहुत सुंदर लगा बधाई आदरणीय लक्ष्मण जी

त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास

माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |

 

Comment by Saarthi Baidyanath on February 1, 2014 at 11:27pm

समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,

भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |....बहुत ही अर्थपूर्ण दोहे हैं आदरणीय ! नमन सहित !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 1, 2014 at 9:59pm

शुक्रिया भाई श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 1, 2014 at 9:58pm

आप सभी का हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी, अन्नपूर्णा बाजपाई जी, मीना पाठक जी और वंदना जी | सादर 

Comment by vandana on February 1, 2014 at 9:04pm

त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास

माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |

बहुत सुन्दर भाव प्रवण दोहे आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service