For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीतिका .....8 + 8---निगाहें

आँज गगन का नील निगाहें

लगती गहरी झील  निगाहें

 

माँस बदन पर दिख जाये तो

बन जाती है चील निगाहें

 

आन टिकी है मुझ पर सबकी

चुभती पैनी कील निगाहें

 

बंद गली के उस नुक्कड़ पर

करती है क्या डील निगाहें

 

इक पल में तय कर लेती है

यार हज़ारों मील निगाहें

 

बाँध सकेगा मन क्या इनको

देती मन को ढील निगाहें

 

दिखने दे ‘खुरशीद’ नज़ारे

किरणों से मत छील निगाहें 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 726

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on February 19, 2015 at 9:49am

आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी ,आदरणीय सोमेश जी ,हृदय तल से आभार |सादर |

Comment by Hari Prakash Dubey on February 19, 2015 at 8:31am

 आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी ,बहुत सुन्दर ,

बंद गली के उस नुक्कड़ पर

करती है क्या डील निगाहें//...वाह,  बधाई, सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 19, 2015 at 3:24am
इक पल में तय कर लेती है , यार हज़ारों मील निगाहें
बाँध सकेगा मन क्या इनको , देती मन को ढील निगाहें ॥
वाह, सुन्दर , बहुत सुन्दर , आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी , बधाई, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 19, 2015 at 12:05am

आदरणीय खुर्शीद सर बेहतरीन ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाए. सभी अशआर एक से बढ़कर एक है .... क्या कमाल का काफिया लिया है, आपकी ग़ज़लों का इसीलिए दीवाना हूँ.... ...... आपकी ग़ज़ल पर ही तरही ग़ज़ल का प्रयास कर रहा हूँ आपकी ग़ज़ल के हवाले से ये चंद अशआर आपको  सादर समर्पित  है -

क्या क्या करती फील निगाहें 

गीली गीली सील निगाहें  

तेरी बातें, मेरी बातें 

करती है तफसील निगाहें 

खुशियाँ खुशियाँ केवल खुशियाँ 

कितनी है तहवील निगाहें 

मेरी बातें सुनकर ऐसे 

मत करिए तब्दील निगाहें 

इस दिल से उस  दिल तक बातें 

करती है तामील निगाहें 

कोमल दिल को रोज डराती 

"चुभती पैनी कील निगाहें"

Comment by Samar kabeer on February 18, 2015 at 10:53pm
जनाब ख़ुर्शीद जी,आदाब,मतला कुछ कमज़ोर लग रहा है,ग़ज़ल के बाक़ी अशआर बहुत ख़ूब हैं,मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 18, 2015 at 8:29pm

बहुत सुन्दर वाह्ह्ह निगाहों के हर हुनर को गीतिका में बांधा है बहुत अच्छी लिखी है बहुत बहुत बधाई ,बहुत पहले मैंने आँखों के ऊपर इसी तरह कुछ लिखा था बरबस ही  याद आ गया. 

Comment by somesh kumar on February 18, 2015 at 6:39pm

निगाहों ने निगाहों से 

ईशारों ही इशारों में 

बयाँ कर दी सभी बातें 

ओठों पे थी पाबंदी 

निगाहों  ने हद तोड़ी 

टूटी थी जो कड़ियाँ 

निगाहों ने फिर जोड़ी |

निगाहों में सजा सपना 

असम्भव कुछ नहीं छोड़ा 

नयन सारथी पे बैठ 

,मन दूर तक दौड़ा |

एक सहज सी प्रतिक्रिया आपकी निगाहों के नाम |सुंदर गीतिका पर बधाई |

Comment by maharshi tripathi on February 18, 2015 at 6:00pm

अच्छी  रचना  आ. खुर्सीद जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
22 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service