For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक मुश्किल बह्र,"बह्र-ए-वाफ़िर मुरब्बा सालिम" में एक ग़ज़ल

अरकान:-12112 12112

न छाँव कहीं,न कोई शजर

बहुत है कठिन,वफ़ा की डगर

अजीब रहा, नसीब मेरा

रुका न कभी,ग़मों का सफ़र

तलाश किया, जहाँ में बहुत

कहीं न मिला, वफ़ा का गुहर

तमाम हुआ, फ़सान: मेरा

अँधेरा छटा, हुई जो सहर

ग़मों के सभी, असीर यहाँ

किसी को नहीं, किसी की ख़बर

बहुत ये हमें, मलाल रहा

न सीख सके, ग़ज़ल का हुनर

हबीब अगर, क़रीब न हो

अज़ाब लगे, हयात "समर"

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1945

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on July 11, 2019 at 11:01pm

जनाब दण्डपाणि 'नाहक़" जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on July 11, 2019 at 10:58pm

जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on July 11, 2019 at 10:57pm

जनाब  लक्ष्मण धामी जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on July 11, 2019 at 10:54pm

जनाब प्रदीप जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by vijay nikore on July 10, 2019 at 4:33pm

लाजवाब गज़ल मानो दिल में समा गई। बहुत ही अच्छी लगी। दिल से बधाई, भाई समर जी।

Comment by नाथ सोनांचली on July 7, 2019 at 6:14pm

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। मेरे लिए तो यह बह्र बिल्कुल नई है, साथ ही साथ मुश्किल भी, पर आपने इसे बड़ी खूबसूरती से निभाया है,, हर शैर मुकम्मल और बरबस मुंह से वाह वाह कहने को मजबूर कर रहे हैं। शैर दर शैर दाद के साथ बधाई देता हूँ। सादर

Comment by Md. Anis arman on July 7, 2019 at 3:25pm

समर कबीर साहब बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद क़ुबूल कीजिये, हर शेर लाजवाब है, इस बहर से  लोग  हाथ खींच लेते हैं आपने बहुत अच्छे से इसे निभाया है जितनी तारीफ की जाये कम है 

अजीब रहा, नसीब मेरा

रुका न कभी,ग़मों का सफ़र    ये शेर तो मैं  क्या कहूं 

बहुत ये हमें, मलाल रहा

न सीख सके, ग़ज़ल का हुनर     आप ही ऐसा बोलेंगे तो हमारा क्या होगा 

एक बार फिर बहुत बहुत बधाई सर 

Comment by Ravi Shukla on July 6, 2019 at 9:42pm
आदरणीय समर साहब मुश्किल बहर में आपने बहुत ही अच्छे अशआर कहे मुश्किल अरकान के कारण ही शायद गैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल कही है। यह बहर फउलु फैलुन फउलु फैलुन 121 22 121 22के नजदीक लगी मुझे। बहरहाल इस उम्दा ग़ज़ल के लिए शेर दर शेर मुबारकबाद पेश करता हूं
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on July 6, 2019 at 1:38pm

क्या खूब कही, ये प्यारी ग़ज़ल,

कठिन थी डगर, निभाई मगर।

वाह आदरणीय समर साहिब

Comment by TEJ VEER SINGH on July 6, 2019 at 10:24am

हार्दिक बधाई आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब। लाज़वाब गज़ल।

ग़मों के सभी, असीर यहाँ

किसी को नहीं, किसी की ख़बर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service