छन्न पकैया-छन्न पकैया,छन्न के ऊपर बिंदी
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छन्न पकैया-छन्न पकैया- छन छना छन छन्ना
भ्रष्टाचारी थरथर कांपें, जब हुंकारे अन्ना. (११)
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छन्न पकैया-छन्न पकैया, छन्न पकाए रागी
ओबीओ बगिया को सींचे, अपने खून से बागी.
प्रिय प्रभाकर जी ये भी खूब रही ..पूरे मैदान में आप ने चौका छक्का लगाया ..दे घुमा कर ..रंग दे वासंती चोला ..हर विषय बहुरंगी
छन्न पकैया-छन्न पकैया, छन्न पकाए फलियाँ
शहरों की सड़कों से सुंदर, मेरे गाँव की गलियाँ.
सर बहुत खूब....एक से बढ़ कर एक है......बधाई..स्वीकार करे
छन्न पकैया-छन्न पकैया, छन्न पकाए रागी
ओबीओ बगिया को सींचे, अपने खून से बागी.
adarniya prabhakar ji. kya baat hai. sundar prastuti. badhai.
महिमा जी, रचना पसंद करने के लिए धन्यवाद. आशा है कि जल्द ही आपकी छंद आधारित रचनाये पढने को मिलेंगी.
भाई नीरज जी, गनेश लोहानी जी, एवं भाई अरुण कुमार पाण्डेय अभिनव जी, आपके उत्साहवर्धन का बहुत बहुत शुक्रिया.
बहुत खूब इस छन्न पकैया ने कई राज़ खोल दिए कई विन्दुओं पर सार्थक टिप्पणी और व्यंग्य किया बधाई और शुभकामनाएं !!
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