For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

                                                             सूरज की गरमी को देखो, पड़ती सब पे भारी

सूखे ताल तलैया भाई,  पिघली सड़कें सारी

सूख चली देखो हरियाली, सहमा उपवन सारा. 

पंथिन को तो छांह नहीं अब,  क्योंकर चलता आरा

 

पशु पक्षी सब प्यास के मारे,  हुए  हाल बेहाल 

जल संसाधन मंत्री ए.सी., बैठे फेंके जाल 

उनकी बात भी छोड़ो भैया, ऐसा कुछ करवा दो 

आँगन अन्दर बाहर तालन, मां पानी भरवा दो 

 

वृहद पौध रोपण की भाई,  कर लो अब तैयारी

देंगे सब आशीष तुम्हें जो, दुनिया तुम पे वारी 

जैसे बचाते अपना जीवन वैसे बचा अब बारी 

जल संरक्षण किया नहीं तो, जल पे मारामारी ||

Views: 883

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2012 at 4:09pm
आदरणीय   मोनिका    जी, सादर 
आपने रचना को  मान दिया, आभार , 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 12, 2012 at 5:22pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी, सादर 
उत्साहवर्धन हेतु आभार. 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 12, 2012 at 5:18pm
आदरणीय लोहानी जी. सादर
आपने अपना कीमती समय देकर भाव को सराहा , धन्यवाद .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 10, 2012 at 11:44am

प्रदीप कुमार कुशवाह जी जल सरक्षण   पर बहुत सुन्दर बेहतरीन लिखा है बहुत बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 10, 2012 at 11:24am

आदरणीय लोहानी  जी , सादर 

सराहना हेतु धन्यवाद.
Comment by Monika Jain on May 9, 2012 at 4:40pm

Namskaar Pradeep ji antim panktiyon me puri ki puri kavita ka saar likh diya aapne sach yadi aaj bhi jalsanrakshan ke baare me nahi socha to wo din door nahi jab dusra dwitiy vishw yuddg paani ke liye hoga.

Comment by Sarita Sinha on May 8, 2012 at 8:56pm

आदरणीय कुशवाहा जी,नमस्कार, बदलते पर्यावरण की चिंता और समाधान दोनों प्रस्तुत करती उत्तम रचना..साधुवाद....

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 8, 2012 at 10:43am
सादर प्रणाम कुशवाहा सर.

सन्देश देती रचना, बधाई .

Comment by Bhawesh Rajpal on May 8, 2012 at 6:33am

वृहद पौध रोपण की भाई,  कर लो अब तैयारी

देंगे सब आशीष तुम्हें जो, दुनिया तुम पे वारी 

जैसे बचाते अपना जीवन वैसे बचा अब बारी 

जल संरक्षण किया नहीं तो, जल पे मारामारी ||

Comment by Bhawesh Rajpal on May 8, 2012 at 6:27am
कुशवाहा जी  , जल की उपियोगिता  का सुन्दर वर्णन  ! यूँ ही नहीं कहा जाता - जल ही जीवन है  ! धरा पर जीवन का अस्तित्व तब तक ही है जब तक जल है !
मध्य में व्यंग्य का पुट  अच्छा लगा !  आपको  बहुत-बहुत बधाई  ! -  भवेश राजपाल  ! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया * पानी-पानी  हो  गया, जब आयी बरसात। सूरज बादल में छिपा, दिवस हुआ है रात।। दिवस…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service