For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सामने है खड़ी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे

सामने है खड़ी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे।

रास्ता हो गया दुश्वार ख़ुदा ख़ैर करे॥

अब तो हर चीज़ जुदाई में बुरी लगने लगी,

फूल भी लगने लगे ख़ार ख़ुदा ख़ैर करे॥

जाने किस बात से हमसे वो रूठे रूठे हैं,

बदले बदले से हैं सरकार ख़ुदा ख़ैर करे॥

हर कोई चाहता महबूब बनाना उनको,

खिंच गईं हैं कई तलवार ख़ुदा ख़ैर करे॥

रात दिन चैन से सोने नहीं देती मुझको,

उनके पाज़ेब की झंकार ख़ुदा ख़ैर करे॥

बात दिल की मेरे होठों पे आ न जाये कहीं,

हो ना जाये कहीं इज़हार ख़ुदा ख़ैर करे॥

बन सँवर के सरे बाज़ार वो निकले “सूरज”,

हो गए हम भी गिरफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे॥

                              डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

Views: 1090

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2012 at 8:38am

आदरणीय बाली जी
               सादर,
                           बात दिल की मेरे होठों पे आ न जाये कहीं,
                           हो ना जाये कहीं इज़हार ख़ुदा ख़ैर करे॥
वाह क्या बात है. बार बार पढने को दिल चाहता है. बहुत सुन्दर. बधाई.

Comment by Nilansh on May 17, 2012 at 10:03pm

sunder ghazal suryaa ji

Comment by Rekha Joshi on May 17, 2012 at 9:58pm

रात दिन चैन से सोने नहीं देती मुझको,

उनके पाज़ेब की झंकार ख़ुदा ख़ैर करे॥

kya khne baali ji ,ati sundr ,badhaai 

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 17, 2012 at 9:11pm

बात दिल की मेरे होठों पे आ न जाये कहीं,

हो ना जाये कहीं इज़हार ख़ुदा ख़ैर करे॥

waah.... 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 17, 2012 at 6:21pm

आदरणीय  सूरज    जी, सादर

बन सँवर के सरे बाज़ार वो निकले “सूरज”,

हो गए हम भी गिरफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे॥

इस कदर जानां घायल हूँ तेरे प्यार में 

कब हुआ उजाला मुझे याद नहीं 

गर याद आता भी है कुछ तो भुला देता हूँ 

जिंदगी जो लिख दी है तेरे नाम में 

खुदा भी खुद आ के गिरफ्तार हो गया 

तेरा जलवा है जश्ने  बहार में  

सूरज तो अपनी आग में यूं ही जल रहा था 

प्रदीप भी शामिल हो गया कत्ले आम में. 

आपको बधाई. मैं भी दाद चाहूँगा, जनाब.

  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 17, 2012 at 5:42pm

सूर्या बाली साहब,  ग़ज़ल के कई अश’आर जाने-पहचाने बिम्बों को साथ लिये चलते हैं. इशारे भी वही-वही हैं.  फिर भी सुनना अच्छा लगा.  दाद कुबूल करें. 

Comment by आशीष यादव on May 17, 2012 at 12:46pm

वाह वाह,
बेहतरीन गजल। सुन्दर शे'र


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 17, 2012 at 12:16pm

वाह वाह बाली जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है मजा आ गया पढ़ के 

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on May 17, 2012 at 11:44am

wah wah soorya ji kya baat hai maza aa gaya bahut achchi ghazal kahi hai mubarakbad kubool karein

Comment by Bhawesh Rajpal on May 17, 2012 at 11:34am
आपकी ग़ज़ल में हम हो गए गिरफ्तार  !
खुदा खैर करे  !
 
डा. सूर्य बाली जी , बहुत-बहुत बधाई  ! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service