आत्मावलोकन के क्षणों में
मन मेरे
जब तू जूझता
डूबता , उतराता
फिर थक के बैठ
किनारे सुस्ताता है
औ तब ये सब
देख रही होती हैं
मेरी आँखे
सबसे परे
उन सारे पलों को
तुझे जीते हुए
औ तभी
विहँस पड़ती हैं
उसी क्षण
जब उनमें से
चुन लेता है तू
एक मोती
18th May2012
Comment
वाह ! बहुत गहरी बात कहती हुई रचना ! आत्मावलोकन का महत्त्व समझती हुई !
महिमा जी, अच्छी रचना, आत्मावलोकन से ही मोती मिलते है, बहुत बढ़िया,
आत्मावलोकन के क्षणों में.. . सही है मोती मिलते हैं.
सुन्दर रचना
औ तभी
विहँस पड़ती हैं
उसी क्षण
जब उनमें से
चुन लेता है तू
एक मोती
bahut sunder likha aapne
bahut subhkaamnaayen
मेरी आँखे
सबसे परे
उन सारे पलों को
तुझे जीते हुए
औ तभी
विहँस पड़ती हैं
ati sundr bhaav,mahima ji ,badhai
महिमाजी
सादर, बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति. बधाई.
...........
मेरी आँखे
सबसे परे
उन सारे पलों को
तुझे जीते हुए.............महिमा जी ये खूबसूरत पलों के मोती बड़े अनमोल होते हैं ...जो वक़्त रहते चुन लेता वही किस्मत वाला होता है। इस रचना ने मन मोह लिया। बहुत बहुत बधाई !
सुन्दर रचना महिमा जी . ये आँखें बोलती हैं ..मन मेरे तू ऐसे ही बुना कर सुन्दर ढेर सारे सुन्दर कृत्य और प्यारे प्यारे सपने ..और ये आँखें देखती तज्बीजती ढूंढ लायें सुनहरे मोती ....हरी ओउम ...भ्रमर ५
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