For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लिख नहीं जो सकता तू सच ख़बर ज़माने की

लिख नहीं जो सकता तू सच ख़बर ज़माने की।

बोल क्या ज़रूरत है फिर क़लम उठाने की॥

 

छोड़ दे ये हसरत भी दिल कहीं लगाने की।

सह नहीं जो सकता तू ठोकरें ज़माने की॥

 

धमकियाँ वो देता है मुझको ख़ाक कर देगा,

चाल चलता रहता है घर मेरा जलाने की॥

 

हमने इस मोहब्बत में इतने ज़ख्म खाये के,

अब नहीं रही हिम्मत फिर से दिल लगाने की॥

 

आज फिर से माज़ी की याद में मैं खोया हूँ,

कोशिशें भी जारी है तुझको भूल जाने की॥

 

तोड़ता है दिल मेरा और दोस्त कहता है,

क्या अदा है तेरी भी दोस्ती निभाने की॥

 

आजकल तो ग़ैरों की महफिलें सजाते हो,

है तुम्हें कहाँ फुर्सत अपना घर सजाने की॥

 

आँख में नमी दे दी दिल को चाक कर डाला,

ये सज़ाएँ दी तुमने मुझको मुस्कुराने की॥

 

जांच ले परख ले तू बार बार “सूरज” को,

इतनी जल्दी मत करना तुम क़रीब आने की॥

                 

                        डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 3:32pm

लिख नहीं जो सकता तू सच ख़बर ज़माने की।

बोल क्या ज़रूरत है फिर क़लम उठाने की॥

 वाह 

बधाई 

Comment by Raj Tomar on June 21, 2012 at 11:02pm

बहुत ही सुन्दर गज़ल है.. और ये शेर...

आँख में नमी दे दी दिल को चाक कर डाला,

ये सज़ाएँ दी तुमने मुझको मुस्कुराने की॥"

..अहा, क्या कहना. :)

Comment by AVINASH S BAGDE on June 21, 2012 at 3:56pm

आँख में नमी दे दी दिल को चाक कर डाला,

ये सज़ाएँ दी तुमने मुझको मुस्कुराने की॥...wah

 

 

जांच ले परख ले तू बार बार “सूरज” को,
इतनी जल्दी मत करना तुम क़रीब आने की

सुन्दर प्रस्तुति .. .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 20, 2012 at 10:19pm

तोड़ता है दिल मेरा और दोस्त कहता है,

क्या अदा है तेरी भी दोस्ती निभाने की॥

 वाह वाह हर शेर लाजबाब है किस किस की बात करूँ बहुत खूबसूरत ग़ज़ल 

Comment by Rekha Joshi on June 20, 2012 at 6:52pm

आँख में नमी दे दी दिल को चाक कर डाला,

ये सज़ाएँ दी तुमने मुझको मुस्कुराने की॥

 अति सुंदर ग़ज़ल ,बधाई सूरज जी |

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 19, 2012 at 11:55pm

आदरणीय डॉ सूरज जी ..अच्छी गजल ...मुबारक हो यहाँ भी धमाल मचाने और चुने जाने के लिए 

भ्रमर ५ 
Comment by Albela Khatri on June 19, 2012 at 9:18am

सुन्दर
अनुपम ग़ज़ल.....
वाह सूरज जी,

आजकल तो ग़ैरों की महफिलें सजाते हो,

है तुम्हें कहाँ फुर्सत अपना घर सजाने की॥

___बधाई

Comment by Mahendra Kumar on June 19, 2012 at 8:20am

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है ....दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ है.....बधाई हो ....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 18, 2012 at 11:22pm

ग़ज़ल के लिये सादर बधाइयाँ, डॉक्टर साहब.

जांच ले परख ले तू बार बार “सूरज” को,
इतनी जल्दी मत करना तुम क़रीब आने की

सुन्दर प्रस्तुति .. .

Comment by Nilansh on June 18, 2012 at 9:43pm

aapki ghazal ke liye bahut badhai surya bhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
40 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। उत्तम छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service