"पल्लू"
मुख
मलीन हो रहा है
तेज नष्ट भ्रष्ट
मुझे छोड़ दिया न
तुमने
गोरी के पल्लू ने
धीरे से कानों में कहा
देखो सब घूर रहे हैं
नज़र लगा देंगे
हर नज़र एक सी नहीं होती
ये नज़रें
बचाता हूँ मैं
छुपाता हूँ तुम्हे
ये कटारी सी नज़रें
लिबास तक
तार तार कर देती हैं
मैं पल्लू बस नहीं
मर्यादा हूँ
रिवाज हूँ
संस्कार हूँ
मुझे छोड़ दिया न
अब देखो
अंग्रेजी क्रीम लगा के
गोरी से मेम बन के
अंखियों से लाज हटा के
उनको असमान के ख्वाब दिखा के
क्या मिल रहा है
काम करने से किसने रोका है
तुमने गहने उतारे
मैंने कुछ न कहा
लेकिन शर्म हया भी उतार फेंकी
अब देखो
टकटकी लगाए
घूरते लोग
क्या तुम सबके देखने के लिए हो
क्या तुम सबकी आँखों की तिश्ना मिटाने वाली हो
क्या तुम कोई परा शक्ति हो
जो सबका ध्यान रखे
नहीं न
मैं तुम्हारी शान हूँ
पल्लू हूँ
सर पे डाल के रखो
कम से कम
बुरी नज़र से बची रहोगी
अब हर कोई तो दुशासन तो नहीं होता न
हाँ मगर कन्हैया है भी या नहीं
इसमें शक है
संदीप पटेल "दीप"
Comment
सुन्दर भाव बहुत अच्छी रचना
मुख
मलीन हो रहा है
तेज नष्ट भ्रष्ट
मुझे छोड़ दिया न
तुमने
गोरी के पल्लू ने
धीरे से कानों में कहा
सत्य को दर्शाती सुन्दर रचना. बधाई.
मैं तुम्हारी शान हूँ
पल्लू हूँ
सर पे डाल के रखो
कम से कम
बुरी नज़र से बची रहोगी
अब हर कोई तो दुशासन तो नहीं होता न
हाँ मगर कन्हैया है भी या नहीं
इसमें शक है ,बहुत खूब ,क्या बात है पल्लू की ,बधाई
waah bhai sandip patel ji.......
bahut khoob
achhi rachna post ki apne....
मैं तुम्हारी शान हूँ
पल्लू हूँ
सर पे डाल के रखो
कम से कम
बुरी नज़र से बची रहोगी
अब हर कोई तो दुशासन तो नहीं होता न
हाँ मगर कन्हैया है भी या नहीं
इसमें शक है
__umda khyal..........badhaai
मैं तुम्हारी शान हूँ -पल्लू हूँ
सर पे डाल के रखो,
कम से कम बुरी नज़र से बची रहोगी
संदीप कुमार पटेल जी, हमारी लज्जा और परमपरा को उजागर करती
अच्छी रचना बधाई
ये कटारी सी नज़रें
लिबास तक
तार तार कर देती हैं ..sateek.
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मैं पल्लू बस नहीं
मर्यादा हूँ
रिवाज हूँ
संस्कार हूँ ...wah..
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मैं तुम्हारी शान हूँ
पल्लू हूँ
सर पे डाल के रखो
कम से कम
बुरी नज़र से बची रहोगी ...umda.
------संदीप पटेल "दीप".ji "पल्लू".ke madhyam se ek sarthak samwad sadha hai aapane.
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