रावण संबाद
रावण दहन हेतु जेसे ही नेता जी आगे बढे
दशानन बोल पड़े मुझे
मुझे जलाने के लिए क्या उपयुक्त हे
क्या आप बुराई से पूरी तरह मुक्त हे
फिर क्यों कर रहे हे मुझे अग्नि के हबाले
जबकि आपने किये हे कई घपले घोटाले
आपके कारनामे संगीन हे
आप पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लीन हे
राम बनकर हमारी नीतियों पर छलते हे
सफेदपोश बनकर देश को छलते हे
अतः रावण कौन हे पहले हो संज्ञान
फिर कराएँ मुझे अग्नि स्नान
में बुराई का प्रतीक बेशक मुझे जलाइये
किन्तु मुझे जलाने के लिए राम तो लाईये
आज देश महगाई भ्रष्टाचार गरीबी बेरोजगारी आतंकबाद से तृस्त हे
पूरा देश मुझे जलाने में व्यस्त हे
मेरा दहन तो हो गया था त्रेता काल में
फिर भी रामराज्य न आया सेकड़ों साल में
अतः जिस दिन आप मुझे अपने दिलो दिमाग सोच आचरण से निकलने में सफल हो जायेंगे
उस दिन हम बिना अग्नि के ही भस्म हो जायेंगे
डॉ अजय आहत
Comment
में बुराई का प्रतीक बेशक मुझे जलाइये
किन्तु मुझे जलाने के लिए राम तो लाईये--- बहुत सुन्दर बधाई डॉ धरे भाई
मेरा दहन तो हो गया था त्रेता काल में
फिर भी रामराज्य न आया सेकड़ों साल में
अतः जिस दिन आप मुझे अपने दिलो दिमाग सोच आचरण से निकलने में सफल हो जायेंगे
उस दिन हम बिना अग्नि के ही भस्म हो जायेंगे......................बहुत खूब
sinhg sahib hosla afjai ke liye sadhubad
मेरा दहन तो हो गया था त्रेता काल में
फिर भी रामराज्य न आया सेकड़ों साल में
अतः जिस दिन आप मुझे अपने दिलो दिमाग सोच आचरण से निकलने में सफल हो जायेंगे
उस दिन हम बिना अग्नि के ही भस्म हो जायेंगे
सचमुच आहत कर गयी आपकी यह कविता! बधाई! डॉ. साहब!
dr ajay aahat ji ravan kavita aaj aur kal prashangik rahegi.badhai
Sandeep ji thanks for advise but i dont know hindi typing i use translator thats why such type of mistake is occure for future i will try to improve
आदरणीय अजय जी सादर प्रणाम
आपकी रचना में बाकई रावण के तर्क ग़लत नहीं है
किन्तु आपकी रचना में टंकण की बहुत सी गलतियां हैं जिसकी वजह से हो सकता है की पाठक को पढने में रुचिकर न लगे
कृपया आप ये त्रुटियाँ दूर कर लीजिये
ताकि पढ़ते समय पाठक केवल रचना में निहित भावों के झरने में काव्य स्नान कर सके
धन्यवाद आपका
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