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आओ फिर से दिए जलाएं //

माननीय अटलबिहारी जी की एक रचना की प्रसिद्ध पंक्ति "आओ फिर से दिए जलाएं "से प्रेरित 

टूटे मन के खँडहर तन में 

सूने अंतर के आँगन में 

ज्योतिर्मय अल्पना बनाएं 

आओ फिर से दिए जलाएं 

 

भीगी सीली नमी हटायें

आतंकित डैनो से भय की

पंखों को झाडे फड़कायें

गर्द उडा दें हर संशय की 

दें उड़ान उपहार स्वयं को

पखों में आकाश सजाएं

आओ फिर से.......

 

सपनों की चटकीली दुनिया

के जितने भी कूट लेख है

जब्त करें आँखों से सारे

झूठे जितने भी प्रलेख हैं

श्री यथार्थ के हवन कुंड में

प्रज्ञा की समिधा सुलगाएं

 आओ फिर से .........

 

हरा केसरी हो या नीला 

पुतली के बस हैं सारे भ्रम

सबका केवल एक जिस्म है

दृष्टिकोण से बिखरा हर क्रम

बाँध धार बिखरे वर्णों की

एक अमर जाह्नवी बहायें

आओ फिर से ....... 

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Comment

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Comment by MAHIMA SHREE on January 1, 2013 at 11:06am

भीगी सीली नमी हटायें

आतंकित डैनो से भय की

पंखों को झाडे फड़कायें

गर्द उडा दें हर संशय की 

दें उड़ान उपहार स्वयं को

पखों में आकाश सजाएं

आओ फिर से.......

आदरणीया सीमा जी   ,  नमस्कार

बहुत ही सुंदर रचना ..

मेरी ओर से आपको सपरिवार  नववर्ष की बहुत  बधाईयाँ  और  मंगलकामनाएं 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 31, 2012 at 8:45pm

टूटे मन के खँडहर तन में 

सूने अंतर के आँगन में 

ज्योतिर्मय अल्पना बनाएं 

आओ फिर से दिए जलाएं

बहुत सुन्दर कामनाएं आदरेया सीमा जी सादर. सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें. 

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 31, 2012 at 6:35pm

आतंकित डैनो से भय की
पंखों को झाडे फड़कायें
गर्द उडा दें हर संशय की
दें उड़ान उपहार स्वयं को
पखों में आकाश सजाएं.. 

गिरे, उठे, संभले, और गर्द झाड़ कर फिर आगे बढ़ गये.  भारत रोता-गाता ऐसे ही चलता रहा है.  लेकिन अब तो राह सुगम हो. बहुत दिन हो गये उठते-गिरते.. . भारतपुत्रो !!!

आज के ऐसे वातावरण में समस्त समष्टि का ग्लानिवत भाव में औंधे मुँह पड़ जाना खतरनाक हुआ करता है. आशा और सकारात्मकता का नव संचार करती इस अति आवश्यक रचना के लिए सीमाजी आपका सादर धन्यवाद.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 31, 2012 at 4:30pm

आदरणीया दीदी नमस्कार सर्व प्रथम आपको सपरिवार सहित नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं यह नया वर्ष आपके जीवन में ढेरों खुशियाँ लेकर आये. बेहद प्रभावशाली रचना है, हर एक पंक्ति से सकारात्मक उर्जा उत्पन्न हो रही है, रचना को पढ़कर आनंद की प्राप्ति हुई हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Dr.Ajay Khare on December 31, 2012 at 4:21pm

ashabadi rachana ka sunder sankal seema ji badhai ki aap hakdaar he 

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