माननीय अटलबिहारी जी की एक रचना की प्रसिद्ध पंक्ति "आओ फिर से दिए जलाएं "से प्रेरित
टूटे मन के खँडहर तन में
सूने अंतर के आँगन में
ज्योतिर्मय अल्पना बनाएं
आओ फिर से दिए जलाएं
भीगी सीली नमी हटायें
आतंकित डैनो से भय की
पंखों को झाडे फड़कायें
गर्द उडा दें हर संशय की
दें उड़ान उपहार स्वयं को
पखों में आकाश सजाएं
आओ फिर से.......
सपनों की चटकीली दुनिया
के जितने भी कूट लेख है
जब्त करें आँखों से सारे
झूठे जितने भी प्रलेख हैं
श्री यथार्थ के हवन कुंड में
प्रज्ञा की समिधा सुलगाएं
आओ फिर से .........
हरा केसरी हो या नीला
पुतली के बस हैं सारे भ्रम
सबका केवल एक जिस्म है
दृष्टिकोण से बिखरा हर क्रम
बाँध धार बिखरे वर्णों की
एक अमर जाह्नवी बहायें
आओ फिर से .......
Comment
भीगी सीली नमी हटायें
आतंकित डैनो से भय की
पंखों को झाडे फड़कायें
गर्द उडा दें हर संशय की
दें उड़ान उपहार स्वयं को
पखों में आकाश सजाएं
आओ फिर से.......
आदरणीया सीमा जी , नमस्कार
बहुत ही सुंदर रचना ..
मेरी ओर से आपको सपरिवार नववर्ष की बहुत बधाईयाँ और मंगलकामनाएं
टूटे मन के खँडहर तन में
सूने अंतर के आँगन में
ज्योतिर्मय अल्पना बनाएं
आओ फिर से दिए जलाएं
बहुत सुन्दर कामनाएं आदरेया सीमा जी सादर. सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आतंकित डैनो से भय की
पंखों को झाडे फड़कायें
गर्द उडा दें हर संशय की
दें उड़ान उपहार स्वयं को
पखों में आकाश सजाएं..
गिरे, उठे, संभले, और गर्द झाड़ कर फिर आगे बढ़ गये. भारत रोता-गाता ऐसे ही चलता रहा है. लेकिन अब तो राह सुगम हो. बहुत दिन हो गये उठते-गिरते.. . भारतपुत्रो !!!
आज के ऐसे वातावरण में समस्त समष्टि का ग्लानिवत भाव में औंधे मुँह पड़ जाना खतरनाक हुआ करता है. आशा और सकारात्मकता का नव संचार करती इस अति आवश्यक रचना के लिए सीमाजी आपका सादर धन्यवाद.
आदरणीया दीदी नमस्कार सर्व प्रथम आपको सपरिवार सहित नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं यह नया वर्ष आपके जीवन में ढेरों खुशियाँ लेकर आये. बेहद प्रभावशाली रचना है, हर एक पंक्ति से सकारात्मक उर्जा उत्पन्न हो रही है, रचना को पढ़कर आनंद की प्राप्ति हुई हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ashabadi rachana ka sunder sankal seema ji badhai ki aap hakdaar he
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online