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नवधा भक्ति पर आधारित दोहे
*लक्ष्मण लडीवाला
मन प्रपंच में नहि लगे, व्याकुलता बढ जाय 
तब ही नवधा भक्ति की, प्रथम अवस्था आय

 भक्त परीक्षित सा सुने, प्यास नही लग पाय,
बिन कथा नहीं रह सके, सिद्धअवस्था आय ।
    
भगवन लीला धाम की, मधुर काव्य बतलाय,
कीर्तन उसको जानिए, मन न भटकने पाय ।

श्रवण करें,कीर्तन करें, मन में रख विश्वास, 
राम नाम का जप करें, व्यर्थ न निकले साँस

श्रवण कीर्तन स्मरण यही, तीन अवस्था ज्ञान ,
प्रथम निवृति अन्धकार, अपने मन में जान।
 
प्रथम निवृति अन्धकार,खुद के मन से होय,     
अन्य का अन्धकार भी, मिटा सके तब कोय।
 
याद जिसका उलट अर्थ, दया रूप समझाय,
माला जपत स्मरण करे, मन फेर न रह पाय ।

निज कल्याण के पथ है,मन में यह तू जान,          
शास्त्र सम्मत बात ये, सिद्ध अवस्था मान
 
आत्म कल्याण के मार्ग, जब कोई अपनाय,
पूज्य गुरु सब यही कहे, सिद्ध अवस्था आय ।  
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

 

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 1, 2013 at 1:52pm

बहुत आभार आपका आरती शर्मा जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 1, 2013 at 10:38am

भक्ति भाव दोहे की सराहना कर मेरा उत्साह वर्धन करने की लिए आपका दिल से हार्दिक आभार भाई श्री अशोक रक्ताले जी,  प्राचीजी के पथप्रदर्शन का अनुसरण अवश्य करूँगा ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 1, 2013 at 10:31am

आपको दोहे पसंद आये, यह मेरा सौभाग्य है, उत्साहवर्धन की लिए हार्दिक आभार महिमा श्रीजी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 1, 2013 at 10:29am

रचना सराहने के लिए हार्दिक आभार भाई संदीप कुमार पटेल जी । आदरणीया प्राचीजी की नेक सलाह का लाभ जरूर मिलता है, उनके प्रति आभारी हूँ ।

Comment by Aarti Sharma on January 31, 2013 at 10:10pm

बहुत बहुत बधाई सर ..

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 31, 2013 at 9:44pm

राम नाम सत्काम से, तुरत ही सिद्धि पाय,

देवों से आशीष लें, जनम  सफल  हो  जाय/

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर, सुन्दर भक्तिपूर्ण दोहों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.बाकी मात्रा गणना पर आदरेया प्राची जी द्वारा नेक सलाह दी ही गयी है.सादर.

Comment by MAHIMA SHREE on January 31, 2013 at 9:01pm

आदरणीय लक्ष्मण सर .. बहुत ही सुंदर सात्विक दोहें .. बहुत-२ बधाईयाँ आपको

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 31, 2013 at 8:44pm

बहुत सुन्दर दोहे हुए हैं और उसमे आदरणीया डॉ प्राची जी की सलाह पे अमल करें तो सोने पे सुहागा हो जाएगा

बहुत बहुत बधाई आपको सर जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 31, 2013 at 12:17pm

 उचित सुझाव देने के लिए हार्दिक आभार अपका आदरणीय डॉ प्राची बहिन | आपके सुझावों से मुझे बहुत सीखने को मिलता है 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 31, 2013 at 11:27am
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी,
दोहों पर आपके सतत प्रयास के साथ साथ जो भी त्रुटि युक्त दोहे हैं उनको भी सही करते चलें. सादर.
प्रपंच में मन नहि लगे, व्याकुलता बढ जाय .............................मन प्रपंच में नहि लगे, ऐसा कर के देखें गेयता प्रवाह को 
तब ही नवधा भक्ति की, प्रथम अवस्था आय

परीक्षित सा भक्त सुने, प्यास नहि लग पाय,...............भक्त परीक्षित सा सुने , इस तरह पड़ें , सम चरण की मात्रा जांच लें 
बिन कथा नहीं रह सके, सिद्धअवस्था आय ।
    
भगवन लीला धाम की, काव्य स्वर बतलाय,.................सम चरण की मात्रा पुनः देखें 
कीर्तन उसको जानिए, मन न भटकने पाय ।

श्रवण करे,कीर्तन करे, मन में कर विश्वास, .........करे को करें कर लें, व कर की जगह  रख  लिखें 
राम नाम का जप करे, व्यर्थ न निकले साँस।.........करे को करें लिखें 

श्रवण कीर्तन स्मरण ये, तीन अवस्था ज्ञान ,.......विषम चरण की मात्रा देखें 
प्रथम निवृति अन्धकार, अपने मन में जान।................विषम चरण की मात्रा देखें 
 
इसी तरह से बाकी  दोहों को भी पुनः देखें 

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