तू तू मैं मैं
पति पत्नीं में होता प्यार वेसुमार
प्यार ही प्यार में होती तकरार
तकरार से संबंधों में आता निखार
तकरार से धुल जाता दिल का गुबार
प्राय: पति सदैव रहता खामोश
बस यदा कदा ही जताता आक्रोश
आपके कारण जिन्दगी मेरी नाश हो गई
हर बक्त तुम चुभने वाली फाँस हो गई
पल पल जलाती हो तुम मेरा खून
नहीं रहा जीवन में चैनोंसुकून
खुशहाल जिन्दगी उदास हो गई
खतम जीवन की मिठास हो गई
होते ही शादी तुम झकाश हो गई .
पहले थी कैडबरी अब सल्फास हो गई
प्रत्युत्तर पत्नी का .....
हाय दईया , तुम से बंध के मेरे फूटे करम
फिर भी निभा रही हूँ पत्नी धरम
दूसरी आपके साथ न करती गुजारा
लेकर तलाक करती किनारा
तुम्हे पसंद करके मेरी मति थी मारी
अच्छा होता मैं रहती कुवांरी
उस समय मुझ पर चल रही थी शनि की दशा
शनि ने ही दी है मुझको सजा
प्रस्थान करती है फिर वो कोप भवन में
वीरानी छा जाती है खिले चमन में
यही है सच्चा पति पत्नी का प्रेम
दोनों का सबसे फेवरेट गेम .
Dr Ajay Khare Aahat
Comment
sabhi atmiyjano ko sadhubaad asha he aap isi tarah hosla afjai karte rahege dhnyabaad
क्या कहने !
तुम्हे पसंद करके मेरी मति थी मारी
अच्छा होता मैं रहती कुवांरी
अति रोचक प्रस्तुति।
विजय निकोर
वो कालजयी मकबूल कव्वाली याद आगयी.. बड़ा लुत्फ़ था जब कुँवारे थे हम तुम, सुनोजी.. .... :-))))
बहुत ही मजेदार ...बधाई आपको
पहले थी कैडबरी अब सल्फास हो गई.......हाहाहा \
यही है सच्चा पति पत्नी का प्रेम
दोनों का सबसे फेवरेट गेम .................क्या बात है....हाहाहा
हार्दिक बधाई
हा हा हा बहुत सुन्दर सर जी .....................नोंक झोंक बहुत बहुत बधाई हो आदरणीय सर जी
होते ही शादी तुम झकाश हो गई .
पहले थी कैडबरी अब सल्फास हो गई.....
बहुत खूब अजय जी...बधाई स्वीकारें
फेवरेट गेम हहहाहा हा सही कहा फिर बरसात के बाद ही इंद्र धनुष निकलता है बहुत बहुत बधाई
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