For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

             तू तू मैं मैं 

पति पत्नीं में होता प्यार वेसुमार 

प्यार ही प्यार में होती तकरार

तकरार से संबंधों में आता निखार

तकरार से धुल जाता दिल का गुबार

प्राय: पति सदैव रहता खामोश

बस यदा कदा ही जताता आक्रोश

आपके कारण जिन्दगी मेरी नाश हो गई

हर बक्त तुम चुभने वाली फाँस हो गई

पल पल जलाती हो तुम मेरा खून

नहीं रहा जीवन में चैनोंसुकून

 खुशहाल जिन्दगी उदास हो गई

 खतम जीवन की मिठास हो गई

 होते ही शादी तुम झकाश हो गई .

पहले थी कैडबरी अब सल्फास हो गई

 प्रत्युत्तर  पत्नी का  .....

हाय दईया , तुम से बंध के मेरे फूटे करम

 फिर भी निभा रही हूँ पत्नी धरम

 दूसरी आपके साथ न करती गुजारा

 लेकर तलाक करती किनारा

तुम्हे पसंद करके मेरी मति थी मारी

 अच्छा होता मैं रहती कुवांरी

उस समय मुझ पर चल रही थी शनि की दशा

शनि ने ही दी है मुझको सजा

प्रस्थान करती है फिर वो कोप भवन में

वीरानी छा जाती है खिले चमन में

यही है सच्चा पति पत्नी का प्रेम

 दोनों का सबसे फेवरेट गेम .

 Dr Ajay Khare Aahat 

Views: 463

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Ajay Khare on February 8, 2013 at 11:28am

sabhi atmiyjano ko sadhubaad asha he aap isi tarah hosla afjai karte rahege dhnyabaad

Comment by vijay nikore on February 8, 2013 at 7:04am

क्या कहने !

 

तुम्हे पसंद करके मेरी मति थी मारी

अच्छा होता मैं रहती कुवांरी

 

अति रोचक प्रस्तुति।

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 7, 2013 at 11:30pm

वो कालजयी मकबूल कव्वाली याद आगयी..   बड़ा लुत्फ़ था जब कुँवारे थे हम तुम, सुनोजी..   .... :-))))

Comment by MAHIMA SHREE on February 7, 2013 at 10:00pm

बहुत ही मजेदार ...बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 7, 2013 at 8:51pm

पहले थी कैडबरी अब सल्फास हो गई.......हाहाहा \

यही है सच्चा पति पत्नी का प्रेम

 दोनों का सबसे फेवरेट गेम .................क्या बात है....हाहाहा

हार्दिक बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 7, 2013 at 8:23pm

हा हा हा बहुत सुन्दर सर जी .....................नोंक झोंक बहुत बहुत बधाई हो आदरणीय सर जी

Comment by Aarti Sharma on February 7, 2013 at 7:51pm

 होते ही शादी तुम झकाश हो गई .

पहले थी कैडबरी अब सल्फास हो गई.....

बहुत खूब अजय जी...बधाई स्वीकारें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 7, 2013 at 7:21pm

फेवरेट गेम हहहाहा हा सही कहा फिर बरसात के बाद ही इंद्र धनुष निकलता है बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service