वैसे तो ग़ज़ल का अपना स्वर्णिम इतिहास रहा है , परन्तु आज हिंदी जनमानस में भी ग़ज़लों ने अपनी गहरी पैठ बना ली है । ग़ालिब , मीर , फैज़ , दाग जैसे नाम आज ग़ज़ल को पसंद करने वाले के लिए अनजाने नहीं । साहित्य में भी ग़ज़लों ने नए पुराने लेखकों को अपनी और आकर्षित किया है । आज समकालीन ग़ज़ल लेखन में एक उर्जावान पीढी सक्रिय है । बनारस में नजीर बनारसी हुए तो जयशंकर प्रसाद ने भी ग़ज़ल लिखी । आज भी उर्दू हिंदी शायरों की एक पूरी जमात काशी में ग़ज़ल की परंपरा को आगे बढ़ा रही है ।
Comment
श्री योगी जी आपकी बधाई के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री !!
आदरणीय श्री वीनस जी आप कुछ कुछ गुण दान करते रहे , यही अभिलाषा है , बधाई के योग्य नहीं हूँ अभी !!
मेरी रपट पर आपने दो शब्द लिखकर मेरा मान बढाया है आदरणीया Dr.Prachi Singh जी मैं श्रद्धानत हूँ !!! एक अकिंचन शब्दजीवी अपनी साधना में निपट अकेला ही होता है , प्रत्येक प्रकार की समालोचना उसके लिए खाद पानी समान है !!! स्नेह व् कृपा दृष्टि बनी रहे !!
बहु धन्यवाद आदरणीया vijayashree जी !
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) जी आपकी सराहना मेरा संबल है सादर आभार !!
श्री संदीप जी बहुत आभार आपका !!
हिंदी साहित्य के लिए बेहतर प्रयास है ये ! बधाई
अरुण जी इस सम्मान हेतु हार्दिक बधाई ...
नए पुराने हिन्दी और उर्दू शायरों को एक मंच पर लाने की कोशिश 'सुखनवर' बहुत बढिया कदम है..और हर माह नयी गज़ल के पाठन और वर्षांत में संकलन का विचार भी गज़लकारों के लिए उत्साहवर्धक साबित होगा.. गज़लगोई के लिए आपको सामान मिलना बहुत हर्ष की बात है.. हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ० अरुण अभिनव जी
आदरणीय अभिनव जी इस सम्मान हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
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