जागो भारत माँ के जवान , सीमा पर बैरी आया | |
और अधिक पाने की चाहत , बढ़ने का राह दिखाया | |
दोस्त का दिखावा करके ही , अपना वो जाल बिछाया | |
सखा की ही नियत बिगड़ी जब , भाई को भी भूलाया | |
लूट पाट करने वालों का , सदा बिगड़ा ईमान है | |
दूसरों के घर घूस जाये , वो दोस्त या सैतान है | |
मीठी मीठी बातें करके , लूटे यहीं पहचान है | |
छुप छुप छुरी चलाता जाये , देख कैसा इंसान है | |
गज़नी गोरी लूट मचाये , बाबर का पूरा सपना | |
गोरों ने कर फूट जमाया , भारत पर गौरव अपना | |
कितने लोग शहीद हुए जब, जिनका अपना था सपना | |
जागो देखो आँखें खोलो , फिर ना आये वो सपना | |
मौन बैठ जब सोचोगे ही , बेडी कौन बचाएगा | |
किस्मत पर जब पछताओगे , वो चीज उठा ले जाएगा | |
सोकर ही जब शोर करोगे , कौन बचाने आयेगा | |
वर्मा देर का वक़्त ना है , देख लूट पछतायेगा | |
श्याम नारायण वर्मा |
Comment
jaago nahi pachtaoge
bahut hi badhiya bhav. badhai, sir ji
गज़नी गोरी लूट मचाये , बाबर का पूरा सपना | |
गोरों ने कर फूट जमाया , भारत पर गौरव अपना | |
कितने लोग शहीद हुए जब, जिनका अपना था सपना | |
जागो देखो आँखें खोलो , फिर ना आये वो सपना |............बहुत खूब. आदरणीय श्याम नारायण जी सादर सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें. |
रचना भाव पसंद करने हेतु आपका हार्दिक आभार , कृपया स्नेह बनाए रखे | सादर
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छीनता हो स्वत्व कोई और
तू त्याग,तप से काम ले
अधर्म है यह धर्म है
विछिन्न कर देना उसे
बढ़ रहा तेरी तरफ
जो हाथ है.....बहुत सही कहा गया है
यह हमारे समय ही सबसे बड़ी त्रासदी है कि ''कीचड़ भरे कदम भी देखो रम्य राजपथ दौड़ रहे, खु़दा साजकर नए पहरुए मंदिर मस्जिद तोड़ रहे'' फिर भी सभी निचिंत है । सीधा संवाद है कि भारत आजाद हो जाएगा तो हम भी जो जाएंगें । ऐसे समय पर युगधर्म का बोध कराने वाली ऐसी रचनाओं की बहुत जरुरत है, आपका प्रयास वंदनीय है, सादर
ये संस्कार रहित मानव का समाज है ऐसे मानव सिर्फ दानवो की श्रेणी मे आते है ,,,,,,, बहुत खुब .. बधाई
आ0 श्याम नारायण जी, अति सुन्दर। ’मीठी मीठी बातें करके, लूटे यहीं पहचान है!
छुप छुप छुरी चलाता जाये, देख कैसा इंसान है।।’ बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें। सादर,
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