For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"क्या यह बात सच है कि कल तुम्हारी बेटी से बलात्कार किया गया ?"
"हाँ साहब, कल शाम खेतों से लौटते हुए मेरी बेटी की इज्ज़त लूटी गई !"
"क्या तुम जानते हो कि दोषी कौन है !?"
"मैं ही नही साहब, सारा गाँव जानता है उस पापी को जिसने मेरी बेटी को बर्बाद किया है !"
"मगर इतनी बड़ी बात होने के बावजूद भी तुमने थाने जाकर रिपोर्ट क्यों नहीं लिखवाई ?"
"क्योंकि मैं अपनी बेटी का सामूहिक बलात्कार नही चाहता था ! "

Views: 945

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 21, 2017 at 9:23pm

वाह | सामूहिक बलात्कार नहीं करवाना चाहता था , गज़ब का तंज़ | सादर नमन सर |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 3, 2015 at 8:02pm
नमन सर। कथा की कसावट गज़ब है।

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 21, 2012 at 11:48am

तह-ए-दिल से शुक्रिया आदरणीय सौरभ भाई जी..


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 21, 2012 at 11:47am

आभार महिमा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2012 at 9:39pm

आदरणीय, अद्भुत कसावट के साथ उत्कृष्ट लघुकथा केलिये आपको सादर नमन.

Comment by MAHIMA SHREE on April 16, 2012 at 9:23pm
आदरणीय सर ,
ओह !! कितनी घिनोना है हमारा समाज का आचरण , इस छोटी सी कथा ने इसका मुखोटा निकाल दिया |
एक गरीब आदमी के औकात ही क्या है जो अपनी बेटी के लिये वयवस्था से लड़ सके, गहरा व्यंग जो तीर के तरह लगी
साधुवाद आपको सर
 
 
 

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 25, 2010 at 12:54pm
भास्कर भाई, भूल के लिए क्षमा चाहता हूँ ! आपने लघुकथा पसंद की और अपना कीमती वक़्त निकाल कर उस पर प्रतिक्रिया दी , इसके लिए दिल से आभारी हूँ आपका !
Comment by Bhasker Agrawal on December 25, 2010 at 12:32pm
में रह गया योगराज जी ;)

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 25, 2010 at 12:27pm
श्री रवि कुमार गुरु जी, भाई गणेश बागी जी, भाई शमशाद अंसारी जी, भाई नवीन चतुर्वेदी जी, भाई आशुतोष कुमार सिंह जी, भाई अरुण पाण्डेय अभिनव जी, भाई राकेश गुप्ता जी, सुश्री नीलम उपाध्याय जी, अनीता मौर्य जी, रंजना सिंह जी, लता ओझा जी, अलका तिवारी जी, एवं आदरणीय आचार्य संजीव सलिल जी - उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं के लिए आप सब का दिल से आभार !
Comment by sanjiv verma 'salil' on December 25, 2010 at 12:04pm
मार्मिक... विचारणीय... पहलू को उद्घाटित किया है आपने.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service