For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - बारिश के ख़त लाते हैं , बादल बंद लिफ़ाफे हैं

ग़ज़ल –

फैलुन फैलुन फैलुन फा

२२ २२ २२ २

 

बारिश के ख़त लाते हैं |

बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं |

 

खेतों में पानी भर दो ,

पौधे भूखे प्यासे हैं |

 

हमने क्या ग़द्दारी की ,

सारे पेड़ रुआसे हैं |

 

मौत तुम्हारे आने तक ,

क्या क्या खेल तमाशे हैं |

 

फूल गुमां करते हो क्यों ,

मौसम आते जाते हैं |

 

ख़ुशबू तो रह जाती है ,

बेशक हम कुम्हलाते हैं |

 

कीचड़ से याराना कर ,

फूल कमल कहलाते हैं |

 

जिनको नींद नहीं आती ,

तारों से बतियाते हैं |

 

जो सच की खेती करते ,

उनके घर में फाके हैं |

 

घंटे भर की बारातें ,

अब किसके जनवासे हैं |

 

चाँद सितारों का सेहरा ,

तेरे ख़ूब सरापे हैं |

* मौलिक अप्रकाशित.

             - अभिनव अरुण 

              [ १५०२२०१४ ]

Views: 881

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 16, 2014 at 10:03pm

आदरणीय!

बेहतरीन.......................लाजवाब.......................रचना ................जीतनी तारीफ की जाय कम..............

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 16, 2014 at 5:32pm

आदरणीय भाई अभिनव जी , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकारें .

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on February 15, 2014 at 4:47pm
वाह वाह क्या बात है। जय हो
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 15, 2014 at 2:06pm

बारिश के ख़त लाते हैं |

बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं |

फूल गुमां करते हो क्यों ,

मौसम आते जाते हैं |

जो सच की खेती करते ,

उनके घर में फाके हैं |//आदरणीय अबिनव जी  ग़ज़ल के माध्यम जीवन दर्शन को सुंदर प्रतीकों के माध्यम से चित्रित करने की जो कोशिस की है उसके लिए मेरी तरफ से तहे दिल बधाई ..सादर 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 15, 2014 at 1:38pm

अच्छी गज़ल हुई है भाई, ले लो मेरी बधाई।

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 15, 2014 at 1:26pm

बारिश के ख़त लाते हैं |

बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं |

 

जो सच की खेती करते ,

उनके घर में फाके हैं |

फूल गुमां करते हो क्यों ,

मौसम आते जाते हैं |

 

ख़ुशबू तो रह जाती है ,

बेशक हम कुम्हलाते हैं |

 

बहुत  बहुत खूब सर जी बधाई स्वीकारें अच्छी ग़ज़ल के लिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

 

Comment by ram shiromani pathak on February 15, 2014 at 12:51pm

कीचड़ से याराना कर ,

फूल कमल कहलाते हैं |

जिनको नींद नहीं आती ,

तारों से बतियाते हैं |

जो सच की खेती करते ,

उनके घर में फाके हैं |//////////वाह वाह बहुत ही प्यारी ग़ज़ल आदरणीय।।। हार्दिक बधाई आपको

Comment by Shyam Narain Verma on February 15, 2014 at 12:43pm
"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को ........
Comment by Meena Pathak on February 15, 2014 at 12:19pm

क्या बात ...बहुत सुन्दर .. बधाई आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service