For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुनावी क्षणिकाएँ

1

जारी है कवायद

शब्दों को रफ़ू करने की

बुलाये गए हैं 

शब्दों के खिलाड़ी

 

शब्द

काटे जोड़े और

मिलाये जा रहे हैं

रचे और रंगे जा रहे हैं

शब्दों का सौंदर्यीकरण जारी है

2

शब्द

कभी चाशनी में

घोले जा रहे हैं

तो कभी छौंके जा रहे हैं 

कढ़ाई में

फिर जारी है खिलवाड़

हमारे सपनों का

 

3

 

भाँपा जा रहा है मिजाज़

हर शख्स का

अचानक बढ़ गई है कीमत

जिंदा लाशों की 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on May 29, 2014 at 9:52pm

अति सुन्दर क्षणिकायें हार्दिक बधाई आ. नादिर खान जी 

Comment by Meena Pathak on May 20, 2014 at 6:55am

बहुत बहुत  सुन्दर .. बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 20, 2014 at 2:57am

तीनों क्षणिकायें न केवल प्रभावशाली हैं बल्कि अनुकरणीय भी हैं. आपकी इस प्रस्तुति की मैं हृदय से सम्मान करता हूँ. 

हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ, भाई,,.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 7, 2014 at 6:02am

क्या कहने हैं नादिर खान साहब, काश वे समझ पाते शब्दों की गरिमा को....

Comment by नादिर ख़ान on May 7, 2014 at 12:55am

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी आदरणीय गिरिराज जी एवं आदरणीय श्याम नारायण  जी आप सभी का बहुत शुक्रिया ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 4, 2014 at 12:49pm

सुन्दर क्षनिकाए चुनावी मौसम में | वाह ! -

शब्द बाण के तीर से आहत,

आयोग में कर रहे शिकायत

आंचार सहिता की तलवार

लगता है भोंटी हो गयी धार | - लक्ष्मण  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 3, 2014 at 7:04pm

आदरनीय नादिर खान भाई , तीनो क्षणिकायें , बहुत सामयिक और बहुत सटीक रचे हैं आपने , आपको मेरी दिली बधाइयाँ ॥

Comment by Shyam Narain Verma on May 3, 2014 at 9:49am
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.................
Comment by नादिर ख़ान on May 2, 2014 at 8:04pm

अदरणीय शिज्जु जी,आदरणीया अन्नपूर्णा जी,  हौसला अफजाई का बहुत शुक्रिया....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 2, 2014 at 4:52pm

यही दुर्भाग्य है देखने समझने की शक्ति होने के बावजूद हम अक्सर अपनी आँखों से नहीं बल्कि किसी और की आँखों से देखते हैं बहुत खूबसूरत क्षणिकायें आदरणीय नादिर भाई बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
12 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
15 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service