ऋतु गर्मी की आई
छन्न पकैया छन्न पकैया, ऋतु गर्मी की आई|
आँधी धूल उडाते चलती, बहे गर्म लू भाई|१|
छन्न पकैया छन्न पकैया, नीम सिरिष हैं फूले |
हवा सुगंध बिखेरे उनकी, खुशबू से मन झूले|२|
छन्न पकैया छन्न पकैया,जुगनू चमचम चमके|
सूखी नदियाँ रेत तलैया, पानी जैसे झलके|३|
छन्न पकैया छन्न पकैया, आँखें धूप में चौंधे|
लाल पुष्प से पुष्पित सज्जित, गुलमोहर के पौधे|४|
छन्न पकैया छन्न पकैया, खायें मठ्ठा रोटी|
गर्मी के दिन लम्बे होते, रातें होती छोटी|५|
छन्न पकैया छन्न पकैया, चलते कूलर पंखे|
बिजली की जब हुई कटौती, अब काहे को झंखे|६|
छन्न पकैया छन्न पकैया, ककड़ी खीरे भायें|
लीची बेल फालसा खायें, गर्मी दूर भगायें|७|
छन्न पकैया छन्न पकैया, गर्मी के दिन आये|
शरबत लस्सी कुल्फी ठंडा, सबका मन ललचाये|८|
छन्न पकैया छन्न पकैया,गर्मी लगे उबाऊ|
जगह जगह पर दिखते है अब, शीतल जल के प्याऊ|९|
छन्न पकैया छन्न पकैया,गर्मी खुशियाँ लाती|
बंद हो गए विद्यालय अब, नहीं पढ़ाई भाती|१०|
छन्न पकैया छन्न पकैया, रटा रटाया जुमला|
गर्मी खूब सताए अब तो, चलो मनाली शिमला|११|
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया एवं बधाई हेतु आपका ह्रदय से आभार आदरणीय केवल प्रसाद जी
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया एवं बधाई हेतु आपका ह्रदय से आभार आदरणीया कुंती जी
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया एवं बधाई हेतु आपका ह्रदय से आभार आदरणीय गिरिराज जी
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया एवं बधाई हेतु आपका ह्रदय से आभार आदरणीय अखिलेश जी
गर्मी की ऋतू पर बहुत अच्छी रचना ,बधाई आदरणीय सत्यनारायण जी
छन्न पकैया छन्न पकैया,गर्मी खुशियाँ लाती|
बंद हो गए विद्यालय अब, नहीं पढ़ाई भाती|...............बचपन की यादों को पुनः ताजा करती हुई
बहुत ही सूंदर!
ग्रीष्म ऋतु का विस्तृत वर्णन करता मोहक छंद.........बधाई..............
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई श्री सत्यनारायण सिंह जी
छ्न्न पकैया छंद में बहुत सुन्दर रचना। हार्दिक बधाई स्वीकार करेंं। सादर,
बहुत सुंदर छ्न्न पकैया....मौसम के अनुकूल.हार्दिक बधाई.
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