For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूचना क्रांति (लघुकथा) रवि प्रभाकर

कुछ ही मिनट पहले विदेश में जन्मे अपने पौत्र की तस्वीरें इंटरनेट पर देख रहे दंपति को खुशी से झूमते देखकर  कोने में बैठा घर का नौकर भी अपने बेटे के कद काठ के बारे कयास लगा रहा था जिसे वह कुछ साल पहले गांव छोड़कर नौकरी के लिए शहर आ गया था।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 12:41am

एक दूर .. दूसरा खुद दूर.. कई भाव उभरे.. कई तथ्य मुखर हुए.

आपकी इस लघुकथा को मैं आपकी सबसे परिपक्व कथा कहूँ तो अन्यथा न होगा. दोनों वर्णित इकाइयों के अपने-अपने दर्द को जिस महीनी से आपने उभारा है वह काबिले ग़ौर है. 

भाई दिल खुश कर दिया आपने, कथ्य से भी और शिल्प से भी. इस गहन रचना के लिए बार-बार बधाई. 

शुभ-शुभ

Comment by Ravi Prabhakar on June 26, 2014 at 7:35pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी, जितेन्द्र भाई व शुभ्रांशु भाई, लघुकथा को अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद।

Comment by Ravi Prabhakar on June 26, 2014 at 7:33pm

आदरणीय प्राची दी,
    नमस्कार । लघुकथा पर आपकी उपस्थिती व लघुकथा के मर्म को समझने के लिए आपका धन्यवाद।

Comment by Ravi Prabhakar on June 26, 2014 at 7:31pm

परम आदरणीय प्रधान सम्पादक महोदय,
    सादर। आपकी लघुकथाएं पढ़ कर ही तो मैने लघुकथा लिखने का प्रयास किया है। आपकी लघुकथाएं हम जैसे नवांगतुको के लिए एक मानक है। आपकी सार्थक टिप्पणी हेतु धन्यवाद, भविष्य में भी मार्गदर्शन करते रहें।

Comment by Ravi Prabhakar on June 26, 2014 at 7:26pm

परम आदरणीय डाॅ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी,
    चरण स्पर्श। प्रस्तुत लघुकथा पर आपकी उपस्थिती एवं प्रतिक्रिया से धन्य हूं, आप सरीखे वरिष्ठ साहित्यकार की प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है। आदरणीय, मेरे विचार से एक लेखक जहां पर लघुकथा समाप्त करता है उससे आगे वह पाठक के मन-मस्तिष्क पर चलनी चाहिए और उसके अंत में जो अनकहा छोड़ दिया गया हो उसे पाठक स्वयं तलाश करें।
    उम्मीद है कि भविष्य में भी आपका स्नेह बना रहेगा। सादर ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2014 at 6:38pm

 एक ही वाक्य में दो तुलनात्मक शब्द चित्र उकेरते हुए सूचना क्रान्ति की पहुँच के एक वर्ग तक सीमित हो जाते सत्य को भी प्रस्तुत किया है....अद्भुत 

बहुत कसा हुआ शिल्प 

इस प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई आदरणीय रवि प्रभाकर जी 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 26, 2014 at 11:44am

लघुकथा अपने शीर्षक से पूर्णतय: न्याय कर रही है.
सूचना क्रांति के दो अलग-अलग रूपों का मार्मिक चित्रण किया है.
नौकर की बेबसी सीने में हाथ डाल कर दिल निकल लेने वाली है। ऐसी महीन बुनावट में आपकी
पंजाबी लघुकथा शिल्प के गहन अध्ययन की झलक स्पष्ट उजागर हो रही है.
हार्दिक बधाई।

Comment by Shubhranshu Pandey on June 25, 2014 at 2:05pm

गोद में ले कर दुलारने की इच्छा दोनो की ही अधुरी है....

सुन्दर कथा...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2014 at 9:50am

दोनों के लिए खुशखबरी  प्यारी- प्यारी ,किन्तु किस्मत न्यारी- न्यारी ....कुछ ही शब्दों आपने इस भेद को मुखरित किया है ,सुन्दर लघु कथा हेतु बधाई आपको| 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 20, 2014 at 1:40pm

रवि जी

इस रचना का व्यंग्य थोडा दुर्बोध है i आसानी से पकड़ में नहीं आता  i  कुछ लोग पढेंगे और सोचेंगे - कहा क्या है i  पर आपको इस रचना के लिए बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय रिचा यादव जी, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है बधाई स्वीकार करें।"
32 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय निलेश "नूर" जी, आप लाजवाब ग़ज़ल लिखते है। बधाई स्वीकार करें।"
39 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें।"
46 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तमाम आज़ी जी, उम्दा ग़ज़ल है आपकी। बधाई स्वीकार करें। आदरणीय तिलकराज जी के सुझावों से ये और…"
49 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल — 221 1221 1221 122 है प्यार अगर मुझसे निभाने के लिए आकुछ और नहीं मुखड़ा दिखाने के लिए…"
55 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय धामी सर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रिचा जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय इंसान जी अच्छा सुझाव है आपका सहृदय शुक्रिया ग़ज़ल पर नज़र ए करम का"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय जयहिंद  जयपुरी जी सादर नमस्कार जी।   ग़ज़ल के इस बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई…"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। वाह वाह बेहद शानदार मतला के साथ  शानदार ग़ज़ल के लिए दिली…"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी सादर नमस्कार जी। क्या ही खूबसूरत मतला हुआ है। दिली दाद कुबूल कर जी।आगे के अशआर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service