For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वफादारी (लघुकथा) रवि प्रभाकर

मालिक और महा प्रबंधक कंपनी में चल रही हड़ताल को लेकर कुछ गंभीर विचार विमर्श कर रहे थे कि अचानक कुछ आवारा कुत्ते बंगले के अंदर आ घुसे। साहिब का खूंखार पालतू कुत्ता बड़ी फुर्ती से उन आवारा कुत्तों पर झपटा और उन्हें दूर तक खदेड़ आया, तभी एक नौकर धीरे से मालिक के कान में आकर फुसफुसाया
“साहिब,  वो यूनीयन के दूसरी तरफ वाले लीडर आ गए है।”
मालिक के तनावग्रस्त चेहरे पर एकाएक कुटिल मुस्कुराहट आ गई, और उसने मांस का एक बड़ा सा टुकड़ा अपने वफादार कुत्ते के आगे फैंक दिया ।

Views: 988

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 20, 2014 at 12:10am

भाई रविजी, आपकी दृष्टि प्रखर है और व्यवहार बन गयीं आजकी कुटिल चालों को आप भलीभाँति समझते हैं, तभी आपके मन का रचनाकार विसंगतियों पर हाहाकार कर उठता है.
आज प्रबन्धन क्षेत्र में व्याप गयी घृणित प्रवृति और चाल-चलन मानवीय मूल्यों का किस तरह से हनन कर रही है यह आपकी लघुकथा खूब साझा कर रही है.
इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई, भाई..
शुभ-शुभ

Comment by Ravi Prabhakar on June 18, 2014 at 7:18pm

मंच पर लघुकथा प्रकाशित होना ही मेरे लिए अत्यंत गर्व की बात है और इससे भी ज्यादा गर्व इस बात का है कि मंच के माननीय सदस्य मेरी लघुकथा को पढ़ते और कंठमुक्त सराह कर इसको अपनाते है। इसके लिए मैं मंच का धन्यवादी हूं। मैं आ. रचित जी, शशि मेहरा जी, गिरीराज जी, लक्ष्मण जी, जितेन्द्र जी, के. कुमार जी, गोपाल नारायण जी, शलिनी जी, कुन्ती जी, कल्पना रामानी जी, राजेश कुमारी जी, सविता जी व अपनी प्रिय बहन गीतिका जी का भी लघु कथा को पढ़ने, इसका मर्म समझने व टिप्पणी हेतु आभार व्यक्त करता हूं। धन्यवाद।

Comment by Rachit Dixit on June 18, 2014 at 4:30pm
बहुत खूब लघुकथा एक रिवाल्वर की तरह होनी चाहिए
केवल एक तर्जनी हिलाने से अभीष्ट की प्राप्ति
आपकी कथा ऐसी ही है बधाई
Comment by coontee mukerji on June 17, 2014 at 5:06pm

बहुत जोरदार...

Comment by Shashi Mehra on June 17, 2014 at 11:08am

ishaara khoob raha


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 16, 2014 at 10:00pm

आदरणीय रवि भाई , आपकी लघु कथा गागर मे सागर है , बहुत कम शब्दों मे बहुत सटीक बातें कह दी है आपने । बधाइयाँ ।

Comment by कल्पना रामानी on June 16, 2014 at 7:12pm

वाह! इतनी गंभीर  बात आपने  जिस सहजता से नपे तुले सांकेतिक शब्दों में कह दी, यह लघुकथा को विशेष आयाम दे रही है। हार्दिक बधाई आपको

Comment by वेदिका on June 16, 2014 at 11:26am

बुंदेलखंड मे एक कहावत है "घर के कुरवे से ही आँख फूटती है" .......

बधाई बढ़िया कथा के लिए आ० रवि भाई जी!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 16, 2014 at 9:40am

आ० रवि जी , मीरजाफरों, जयचंदों और विभीषणोनो की याद ताज़ा कराती इस लघुकथा के लिए कोटि कोटि बधाई .पर क्या ये रक्तबीज कभी ख़त्म होंगे? ....

Comment by shalini kaushik on June 15, 2014 at 11:59pm

vyangya se bharpoor satya ke kareeb .very nice ravi ji .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
24 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service