२१२२/१२१२/२२
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लोग कहते हैं मोजज़ा होगा,
देखना कोई हादसा होगा.
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ख़ूब ईमानदार बनता है,
नौकरी पर नया नया होगा.
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जब कहा, सिर्फ़ सच कहा उसने,
वो कभी आईना रहा होगा.
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जिसकी सुहबत सुकून देती थी,
कैसे मानें कि बेवफ़ा होगा.
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एक मुद्दत के बाद धड़का दिल,
ज़ख्म-ए-दिल आज फिर हरा होगा.
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टूटता दिल भी एक नेमत है,
शायरी का चलो भला होगा.
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शक्ल पर कुछ नहीं लिखा उसने,
कौन कैसा है, कौन क्या होगा.
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इक सितारे सा ख़ूब चमका “नूर”,
टूटकर अब कहीं गिरा होगा.
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निलेश "नूर"
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
नूर जी
बेहतरीन -----------
सभे अशआर तराशे हुए i बा--नूर i
जब कहा, सिर्फ़ सच कहा उसने,
वो कभी आईना रहा होगा.---------------वाह्ह्ह्ह
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जिसकी सुहबत सुकून देती थी,
कैसे मानें कि बेवफ़ा होगा. -------बहुत खूब
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एक मुद्दत के बाद धड़का दिल,
ज़ख्म-ए-दिल आज फिर हरा होगा. -----जबरदस्त
बहुत शानदार ग़ज़ल हुई नीलेश जी सभी शेर प्रभावित करते हैं ,तहे दिल से बधाई आपको
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एक मुद्दत के बाद धड़का दिल, ज़ख्म-ए-दिल आज फिर हरा होगा , बहुत खूब , बेहतरीन लिखा है आपने |
जिसकी सुहबत सुकून देती थी,
कैसे मानें कि बेवफ़ा होगा.
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एक मुद्दत के बाद धड़का दिल,
ज़ख्म-ए-दिल आज फिर हरा होगा.
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टूटता दिल भी एक नेमत है,
शायरी का चलो भला होगा....
आदरणीय नीलेश जी खूबसूरत गज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद ....
शुक्रिया शिज्जू भाई ...दिल से
वाह निलेश भैया लाजवाब, हर शेर लाजवाब है। जितनी दफ़े पढ़ो कम है, लुत्फ़ बढ़ता ही जाता है दिली दाद कुबूल फरमाएँ इस बेहतरीन अशआर से सजी ग़ज़ल के लिये।
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