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एक सरकस सी हमारी आज संसद हो गयी
लोक हित की इक नदी जम आज हिमनद हो गयी
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जुगनुओं से खो गये लीडर न जाने फिर कहाँ
मसखरों की आज इसमें खूब आमद हो गयी
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‘रेप’ को जोकर सरीखों ने कहा जब बचपना
जुल्म की जननी खुशी से और गदगद हो गयी
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दे रहे ऐसे बयाँ, जो जुल्म की तारीफ है
क्योंकि सुर्खी लीडरों का आज मकसद हो गयी
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जुल्म की सरहद बढ़ी बेहद हदों को पार कर
इस चमन में और छोटी न्याय की जद हो गयी
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नित सियासत सींचती पर खाद हम देते रहे
भ्रष्टता की बेल बढ़कर, जिससे बरगद हो गयी
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प्यार धर्मो ने सिखाया पुस्तकों में खूब पर
तोड़ नफरत हर हदें अब यार अनहद हो गयी
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कल तलक जिनका कहा झूठ-सच बकबास था
कुर्सियों पर बैठते हर बात मानद हो गयी
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रचना - 13 दिसम्बर 2013
मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’
Comment
आदरणीय भाई राम अवध जी गजल की प्रशंसा और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार । मूल गजल में यह पंक्ति इस प्रकार ही थी -‘ कल तलक जिनका कहा जो झूठ सच बकवास था ’ शायद कापी पेस्ट करते समय कोई गड़बडी हो गयी जिसे मैं देख नहीं पाया । इस ओर ध्यान दिलाने के लिए दिली धन्यवाद ।
आदरणीय भाई भुवन जी गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आदरणीय भाई गोपाल नारायण जी गजल पर आपकी उपस्थिति से इसे और मान मिल गया । हार्दिक आभार ।
आदरणीय भाई आशीष जी प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार । स्नेह बनाए रखें ।
आदरणीय भाई जवाहर लाल जी गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए खुशी की बात है । उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आदरणीय भाई विजय शंकर जी आपने सच कहा कि अब हर शाख पर उल्लू बैठा है । हर बार जिसे हम यह सोचकर कि शायद वह हंस निकले मान्यता देते है पर नतीजा फिर वही रहता है । इस लिए बेचैनी बढना लाजमी है । शायद इसी से कोई हल भी निकले । एक बात और यहां आपने मेरा नाम गलत उद्धृत कर दिया है । उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार ।
‘रेप’ को जोकर सरीखों ने कहा जब बचपना
जुल्म की जननी खुशी से और गदगद हो गयी
प्यार धर्मो ने सिखाया पुस्तकों में खूब पर
तोड़ नफरत हर हदें अब यार अनहद हो गयी.... बहुत बढ़िया
उम्दा
वाह ! क्या कहन है !! दादकुबूल करें, आदरणीय लक्ष्मण भाई.
कल तलक जिन का कहा झूठ-सच बकबास था .. इसकी कैसे तक्तीह की आपने ?
एक सरकस सी हमारी आज संसद हो गयी
लोक हित की इक नदी जम आज हिमनद हो गयी
दे रहे ऐसे बयाँ, जो जुल्म की तारीफ है
क्योंकि सुर्खी लीडरों का आज मकसद हो गयी
प्यार धर्मो ने सिखाया पुस्तकों में खूब पर
तोड़ नफरत हर हदें अब यार अनहद हो गयी.... बहुत खूब हर शेर लाजवाब ..हार्दिक बधाई आपको
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