For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अस्तित्व (लघु कथा )

रूढ़ीवादी परिवार का विनय अपनी पत्नी को बेहद प्यार करता था और आज तक उसकी हर छोटी-बड़ी खुशी का ख्याल रखता आया था लेकिन आज जब घर लौटा तो नीति ने नौकरी की बात छेड़ दी।

-"अच्छी कम्पनी है और सैलरी भी । टाइमिँग्स भी ऐसी हैँ कि घर की देखरेख मेँ भी कोई प्रॉब्लम नही होगी, फिर क्या प्रॉब्लम है?"

-"नीति जब मेरी सैलरी से घर अच्छे से चल रहा है तो तुम्हे नौकरी करने की क्या ज़रूरत है?
क्या तुम्हे कोई कमी है मेरे साथ ?"

-"नही विनय बल्की आपके साथ तो मैँ बहुत खुश हूँ।"

-"फिर क्या बात है नीति?"

-"विनय प्लीज मुझे गलत मत समझना पर मैँ आपकी पत्नी के साथ साथ कुछ पल नीति बनकर भी जीना चाहती हूँ।"

"पूजा"
मौलिक एवं अप्रकाशित।

Views: 1026

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 18, 2014 at 1:39pm

आदरणीया  pooja yadav    पत्नी के रूप में स्वयं के अस्तित्व की पहचान को सम्बोधित करती सुंदर लघु कथा  …  हार्दिक बधाई। आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी के कथन से सहमत। 

Comment by pooja yadav on November 17, 2014 at 9:12pm
आप सभी आदरणीय पाठकोँ की सराहना, प्रतिक्रियाओँ तथा आप सबकी उपस्थिति के लिए मैँ आपकी दिल से आभारी हूँ।
दरअसल अन्तिम पंक्ति डिलीट हो गई है आदरणीय गोपाल नारायण जी। मैँ अभी एडिट किए देती हूँ।
Comment by किशन कुमार "आजाद" on November 17, 2014 at 2:27pm
अच्छा लिखा है आपने साधुवाद आदरणीया पूजा जी । सुभकामना आपको
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 16, 2014 at 12:39pm

नारी के अस्तित्व पर कब तक प्रश्न चिन्ह लगा रहेगा i पुरुष समाज को सोचना पड़ेगा  i आख़िरी सवाद न होता और उससे पहले के सवाद में पर----के साथ एक दो उपयुक्त  शब्द गढ़े  जाते तो शायद  शिल्प और निखरता i  शायद तब  कथा को समझने में शीर्षक की मदद न लेनी पड़ती  i लघु कथा में शिल्प के विशेष अहमियत है i कथा का विषय और प्रस्तुति अच्छी है i

Comment by वेदिका on November 16, 2014 at 11:38am
स्त्री को आर्थिक स्वतंत्रता न देने के पीछे कई कई कारण हो सकते है। पुरुष का अहं होना और वह डर सबसे बड़ा की औरत घर के बाहर निकलेगी तो समाज क्या कहेगा, कहीं कुछ ऊँच नीच न हो जाए ........ आदि आदि। जबकिदम्पति नौकरी पेशा होते हुए परिवार के स्टेट्स को और भी अच्छा कर सकते हैं।
// नौकरी करने की जरूरत// बहुत सही प्रश्न चिन्ह का सृज न हुआ है।

बधाई बहुत अच्छी रचना पर पूजा जी!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 16, 2014 at 10:45am

महिलाएं नौकरी सिर्फ पैसे के लिए ही नहीं अपनी एक पहचान बनाने के लिए भी करती हैं पर पुरुषवर्ग को ये बात पचाने में अभी वक़्त लगेगा :-)))))

अच्छी कहानी है बधाई आपको पूजा जी ,पहले से इस बार आपकी काफी सधी हुई लघु कथा आई है 

Comment by Hari Prakash Dubey on November 16, 2014 at 10:40am

रूढ़ीवादी परिवार का विनय.....सुन्दर प्रस्तुति..

Comment by somesh kumar on November 16, 2014 at 10:16am

सुंदर लघुकथा ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service