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लघुकथा : न्यू ट्रेंड (गणेश जी बागी)

“वर्मा साहब, एक बात समझ में नहीं आयी, आपने फ़िल्म प्रोडक्शन पर अधिक और फ़िल्म प्रमोशन एवं मिडिया मैनेजमेंट पर मामूली बजट का प्रावधान किया है, जबकि आजकल तो प्रमोशन पर प्रोडक्शन से कहीं अधिक बजट खर्च किये जा रहे हैं.”
“डोंट वरी दादा ! कम प्रमोशनल बजट में भी फ़िल्म हिट करवाई जा सकती है.”
“अच्छा अच्छा, मतलब आप फ़िल्म में आइटम डांस वगैरह डालने वाले है.”
“नो नो, इटिज वेरी ओल्ड ट्रेंड”
“तो अवश्य कोई किसिंग या बोल्ड बेड सीन दिखाने को सोच रहे हैं.”
“अरे नहीं दादा इसमें नया क्या है ये सब तो अब टीवी सिरिअल वाले भी दिखा रहे हैं”
“फिर क्या सोचा है आपने ?”
“अरे कुछ नहीं, धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले कुछ सीन घुसेड देंगे, धर्मगुरु और मिडिया वाले स्वतः फ़िल्म प्रमोट कर देंगे और वो भी मुफ्त में.”
“और सेंसर बोर्ड ?”
“दादा वो सब आप मुझपर छोडिये, फ़िल्म इंडस्ट्री में मैं कोई नया हूँ क्या ? सब मैनेज हो जाता है.”

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => हास्य घनाक्षरी : ईलाज 

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Comment by Rahul Dangi Panchal on December 28, 2014 at 9:06pm
बहुत सुन्दर सर
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 28, 2014 at 9:04pm
मैनेज तो सब हो जाता है, सही कहा आपने। वैसे यह ट्रेंड फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी चलन में है , पर हाँ वह भी तो बहुत बड़ा शो - बिजनेस है , शायद फिल्मों से बहुत ही बड़ा। बधाई , लघु - कथा के माध्यम से इसे प्रस्तुत करने लिए इंजी o गणेश जी बागी जी , सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 8:58pm

:-)) .. बहुत खूब !

इसे कहते हैं रचनात्मक दृष्टि ! इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ, गणेश भाईजी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 28, 2014 at 8:28pm

प्रतिक्रिया और उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहर लाल जी .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 28, 2014 at 8:26pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, लघुकथा आप तक पहुँच सकी, लेखन कर्म सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 28, 2014 at 8:25pm

लघुकथा को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 28, 2014 at 8:23pm

आभार राम शिरोमणि पाठक जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2014 at 8:14pm

 आदरणीय बागी सर समसामयिक व्यंग्य ...... इस प्रभावकारी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई  

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 28, 2014 at 7:44pm

बिलकुल सही कहा आपने आदरणीय बागी जी,  ज्वलंत समसामयिक कटाक्ष !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 28, 2014 at 7:34pm

"आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi सर बहुत ही शानदार लघुकथा, आपके शब्दों का चुनाव और उनका शानदार संयोजन .... हार्दिक बधाई स्वीकार करें !"सादर !

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