For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

पहाड़ और पीठ

एक

पहाड़,
सिर्फ पीठ होता है
मुह होता तो बोलता
पहाड़ के पैर भी नही होते
हाथ भी
वरना वह चलता
कुछ करता या,
उठता बैठता भी
पहाड़, अपनी पीठ पर
लाद लेता है तमाम जंगल नदी नाले,
हरी भरी झील भी
सड़क और बस्तियां भी
और कुछ नही बोलता
क्यों कि,
पहाड़ सिर्फ पीठ है
और पीठ कुछ नही बोलती

दो,

पीठ,
पहाड़ नही होती
पर लाद लेती है पहाड़
पीठ के भी मुह नही होता
पहाड़ की तरह होती है एक सतह,
जो थपथपायी जाती है
पहाड़ लाद लेने के एवज में,
यही पीठ गोरी व चिकनी है तो फिसलती हैं
नजरें व हांथ भी और, द आते हैं पहाड़
और उग आते हैं आखों के जंगल खुंखार व भयावह
यही पीठ सख्त और मजबूत है तो
नही दिखा सकती पीठ
तमाम नस्तर व खंजर लगने के बाद भी क्यूंकी,
 पीठ पर पहाड़ होते हैं,
और पहाड़ के मुह नही होता
और पीठ के भी

मुकेश इलाहाबादी -------------

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 645

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on February 19, 2015 at 10:25am

BHAUT BAHUT AABHAR MITRON RACHNAA PASANDGEE KE LIYE - VISHSESHSTAH - SAURABH PANDEY JEE, JITENDRA PASTARDIYA,GIRIRAJ BHANDARI,ER. GANESH BAGI , MITHILESH WAMANKAR, HARI PRAKASH DUBEY, AJAY SHARMA, DR GOPAL NARAYAN SRIVASTAVA AUR GUMNAM PITHAURAGARHEE JEE -


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2015 at 4:49pm

आदरणीय मुकेश भाई, पीठ के समानान्तर पहाड़ की संज्ञा रोचक बिम्ब प्रस्तुत कर रही है.
प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई.

दूसरी क्षणिका की इस पंक्ति का अर्थ नहीं समझ पाया - नजरें व हांथ भी और, द आते हैं पहाड़

हार्दिक शुभकमानाएँ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 16, 2015 at 12:17pm

वाह! क्या कहने.. बहुत सार्थक बात कही आदरणीय मुकेश जी. हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 15, 2015 at 9:10pm

आदरणीय मुकेश भाई , दोनो रचना यें बहुत सुन्दर लगीं , हार्दिक बधाई आपको ॥


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 15, 2015 at 3:32pm

क्या कहने भाई, दो पक्ष और दोनों एक दुसरे को सहारा देती हुई, अच्छी रचना लगी, बधाई प्रेषित है.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 15, 2015 at 3:24am

आदरणीय मुकेश जी सुन्दर भावपूर्ण कविता हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 14, 2015 at 9:05am

आदरणीय मुकेश जी सुन्दर रचना ,// पहाड़ सिर्फ पीठ है

और पीठ कुछ नही बोलती// सुन्दर कल्पना ....// पीठ,

पहाड़ नही होती

पर लाद लेती है पहाड़/// वाह ..हार्दिक बधाई आपको !

 

Comment by ajay sharma on February 13, 2015 at 10:27pm

bahut hi khoobsoorat rachna ke liye badhai

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 13, 2015 at 7:38pm

मुकेश जी

आपका नजरिया काबिले तारीफ़ है  i

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 13, 2015 at 7:00pm
वाह सर जी पहाड़ को क्या खूब चित्रित किया है वाह वाकई पहाड़ सिर्फ पीठ भर होता है जो लादे रहता है पहाड़ियों का पहाड़ सा जीवन अपनी पीठ पर .............. इन खूबसूरत रचनाओं के लिऐ बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service