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पंछी नदियाँ जमीँ फलक तारे ,
हमने सबसे तेरी खबर माँगी ।
हर तरफ तू ही तू नजर आये ,
देने वाले से वो नजर माँगी ।
आदरणीय नीरज भाई बहुत खुबसूरत अहसास है इन अशआर में |आप शायद ''2-12 2 12 12 22 " पर ग़ज़ल कहना चाह रहे हैं |आप थोड़ा सा प्रयास करके इस ग़ज़ल को इसी बह्र पर करदें तो मज़ा आ जायेगा |इस बहर पर कुछ ग़ज़लें ---
१. फिर छिड़ी रात बात फूलों की \रात है या बरात फूलों की
२.आँख में शाम से नमी सी है \आज फिर आपकी कमी सी है
३.आप जिनके करीब होते हैं \वो बड़े खुश नसीब होते हैं
४ .ज़िन्दगी जब उड़ान भरती है \बाँहों में आसमान भरती है
और आपका मतला
इक दुआ हमने उम्र भर माँगी ।
अपने दिल मेँ तेरी बसर माँगी ।
हार्दिक अभिनन्दन |सादर |
सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई.
sundar rachna .....bahut khoob
आदरणीय नीरज मिश्रा जी सुन्दर ग़ज़ल है हार्दिक बधाई आपको इस रचना पर !
आदरणीय प्रेम भाई , ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास हुआ है , लिखी हुई बह्र के अनुरूप आपके मिसरे नहीं लग रहे हैं, एक बार तक्तीअ कर के देख लीजियेगा ॥
इक दुआ/ हमने उम /र भर माँगी
२१२/ २१२/ १२२ २ ........
क्या मैं सही हूँ बताईएगा ............
सुन्दर गजल पर आपको बधाई आ. नीरज जी |
नीरज जी
बहुत अच्छा प्रयास i सुन्दर i
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