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बहुत बहुत पसंद आई दिनेश भैय्या आपकी ये ग़ज़ल सभी शेर प्रभावित कर रहे हैं किसी एक की क्या बात करूँ
फिर भी इन शेरों को कोट करना चाहूंगी बहुत ही शानदार हैं
क्यूँ बनाया उस खुदा ने ये जहाँ
मुझको दे कुछ जानकारी ज़िन्दगी
ख़्वाब मेरे इसके नोके तीर पर
इक बहुत उम्दा शिकारी ज़िन्दगी
ढ़ूँढ़ता ही मैं रहा आबे हयात
मैकदों में छान मारी ज़िन्दगी
और अंतिम शेर ने तो भावुक ही कर दिया
तहे दिल से दाद कबूलिये
इसके मजमे की कोई सीमा नहीं
आदमी दर्शक, मदारी ज़िन्दगी
मैं तो मर कर भी जिऊँगा शान से
मैंने ग़ज़लों में उतारी ज़िन्दगी------------------- dinesh jee bahut umda gajal , congrats
Aadarniya Dinesh Kumar Ji,
Kya Sabd gadhe hain aapne. Aapar Harsh ho raha hai. Bahut badhai.
जो बनाते दूसरों का आशियाँ
वो रहें सड़कों पे सारी ज़िन्दगी
मैं तो मर कर भी जिऊँगा शान से
मैंने ग़ज़लों में उतारी ज़िन्दगी --- बहुत खूब आदरणीय दिनेश भाई , एक और अच्छी गज़ल के लिये आपको बहुत बधाई ॥
आदरणीय दिनेश जी,इस सुन्दर ग़ज़ल पर बधाई आपको !
/बाज के पंजों ने मसला देर तक
एक चिड़िया आज हारी ज़िन्दगी/
/ढ़ूँढ़ता ही मैं रहा आबे हयात
मैकदों में छान मारी ज़िन्दगी/ .....बहुत खूब !
बहुत खूब आ. दिनेश कुमार जी ,,,खूबसूरत गजल पर आपको हार्दिक बधाई |
वाह सर जी खूब पूरी ग़ज़ल ........ कमाल हुई है बधाई स्वीकारें.,
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