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चांदनी रात है //// हिन्दी गजल (एक प्रयास)

   (212 212)

मुतदारिक मुरब्बा सालिम

चांदनी रात है

वाह क्या बात है I

रात का तम गया

अब धवल प्रात है I

मौन वंशी लिए

वह खड़ा तात है I

पुष्प के बाण से

काम का घात है I

राग-अनुराग की

दिव्य बरसात है I

कामना है मधुर

भाव अवदात है I

नन्द का लाडला

नेह  निष्णात  है I

आपगा तीर पर

राधिका स्नात है I

नेह ‘गोपाल’ का

सर्व विख्यात है I

(मौलिक व् अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by नादिर ख़ान on March 31, 2015 at 12:08pm

वाह क्या खूब कहा आदरणीय गोपाल जी, बहुत बधाई इस उत्तम रचना के लिए ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 31, 2015 at 9:14am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर आपने गागर में सागर भर दिया। इस छोटी बह्र में पूरी रवानी के साथ अपनी बात कहना आप जैसे अनुभवी व्यक्ति एवं रचनाकार के ही बस की बात है। दिली दाद कुबूल फरमायें

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 31, 2015 at 6:27am

कोटि कोटि नमन आ0 भाई गोपाल नारायण जी .

Comment by Samar kabeer on March 30, 2015 at 11:04pm
आली जनाब डा.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी,आदाब,सुन्दर और कलात्मक रचना के लिये दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 30, 2015 at 9:35pm
कामना है मधुर
भाव अवदात है I
राग-अनुराग की
दिव्य बरसात है ।
पुष्प के बाण से
काम का घात है I
सुन्दर , स्वर्णिम , बहुत बहुत बधाई , आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 7:23pm

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर, बहुत ही शानदार रचना ,बिलकुल आप पर सटीक बैठती हैं ये पंक्तियाँ

नेह ‘गोपाल’ का

सर्व विख्यात है I

,सादर !

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 30, 2015 at 6:05pm

अरे वाह वाह वाह ..क्या कहने आदरणीय .. दो रुक्नी ग़ज़ल लेकिन बात पूरी तरह संप्रेषित हुई 
वाह क्या बात है 

Comment by Shyam Narain Verma on March 30, 2015 at 4:40pm
क्या खूब ग़ज़ल कही है आपने वाह बहुत बहुत बधाई इस बेहतरीन रचना के लिये

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 30, 2015 at 3:36pm

वाह वाह वाह आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर, छोटी बह्र की कमाल की ग़ज़ल हुई... यकीन था कि आप जब अपने अनुभव की छौंक बह्र में लगायेंगे तो बेहतरीन गज़लें निकलकर आएगी. आपने तत्सम शब्दों से भरी-पूरी लाजवाब ग़ज़ल कही है. इस लगन को नमन. मंच पर नए हिंदी शायर का हार्दिक स्वागत है, अभिनन्दन है, नमन है. बस वाह वाह निकल रही है मन से.

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