For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पलक झपकते ही वो सब हो गया जो उसकी कल्पना में भी नही था। तेज गति से चलते टैम्पो में पलटते ही आग लग गयी और रोड़ पर भगदड़ मच गयी। जलती आग की ओट में घिरे उस नन्हे बच्चे को देख एकबारगी उसकी सांसे भी थम गयी।वो निशक्त सा हो गया। लेकिन बच्चे को जीवन मृत्यु के बीच झूलते देख उसने अपने अंदर की सारी शक्ति को समेटा और आग में कूद पड़ा।......
शहर भर में उसकी हिम्मत की चर्चा होने लगी। हर कोई जानना चाहता था उसकी हिम्मत, उसके जज्बे का राज।
"क्या बताऊं मैं?" रो पड़ा फूट फूट कर वो। "मेरा दस बरस का बेटा था मेरी हिम्मत! जिसे... जिसे दो बरस पहले जलती आग में जलता हुआ देखता रहा मै! हाँ मैं, एक कायर इंसान।"
'विरेन्दर वीर मेहता' (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 21, 2017 at 9:49pm

मार्मिक विषय पर आपने कलम चलायी है आदरणीय वीर जी | हार्दिक बधाई आपको इस कथा के लिए |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 9, 2015 at 2:57pm

मेरा सुझाव आपको रुचिकर लगा, यह मेरे लिए आश्वस्तिकारी है. मेरे कहे को अनुमोदित करने केलिए हार्दिक धन्यवाद , आदरणीय वीरेन्द्र वीर जी..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 9, 2015 at 9:31am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर कथा  पर आप की समीक्षा  और  प्रतिक्रिया दोनों के लिए दिल से  आभार व्यक्त करता हूँ.

// मेरा  दस बरस  का बेटा .........  //  पंक्तियों में  जो अंतर आपने दिखाया वह इस मेरी कथा को ( जिसे मैं अधिक प्रभावी नहीं बना सका )  सर्व्शेष्ट कैसे बनाया जा  सकता है का सफल उदारहण है

आप का स्नेह बना रहेगा इसी आशा  के साथ आप का अनुज साभार!

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 9, 2015 at 12:57am

"मेरा दस बरस का बेटा था मेरी हिम्मत! जिसे... जिसे दो बरस पहले जलती आग में जलता हुआ देखता रहा मै! हाँ मैं, एक कायर इंसान।"

"मेरा दस बरस का बेटा है मेरी हिम्मत ! जिसे... जिसे दो बरस पहले मैं ऐसे ही आग में जलता हुआ देखता रह गया था ! हाँऽऽ.. वही कायर हूँ मैं.... "

उपर्युक्त दोनों पंक्तियों को देखिये, आदरणीय.

आपकी इस प्रस्तुति पर हृदय से बधाई.

Comment by Shubhranshu Pandey on July 5, 2015 at 1:31pm

आदरणीय विरेन्द्र जी, 

सुन्दर भाव के साथ कथा कही है. बेटे की मौत के बाद वो अवसादग्रस्त नहीं हुआ बल्कि एक और मौका आने पर उस कायरता को हटा कर आगे बढ़ा. 

कथा के पहले भाग में थोड़ी और कसावट की आवश्यकता है. 

सादर.

Comment by shree suneel on July 4, 2015 at 7:13am
गुज़रे हादसे ने हीं उसे साहसी बना दिया था...
मार्मिक लघु-कथा हुई. बधाई आपको.
Comment by Neeraj Neer on July 3, 2015 at 10:14am

बहुत ही सुंदर लघु कथा 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 3, 2015 at 9:52am

काश ये हिम्मत अपने बेटे के लिए भी  जुटा पाता...बहुत ही हृदय स्पर्शी लघु कथा दिल से बधाई आपको आ० वीर जी   

Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 8:58am

आदरणीय VIRENDER VEER MEHTA  जी 

आप की यह लघुकथा अन्दर तक मार करने में सक्षम है .

बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 3, 2015 at 1:15am

बहुत ही मार्मिक और संवेदनशील लघुकथा हुई है आदरणीय वीरेंदर वीर मेहता जी..... इस सफल लघुकथा पर हार्दिक बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
6 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service