"रिपोर्ट्स आ गईं बहू ?''
"जी "
"इतना परेशान होने की ज़रुरत नहीं है I चार साल ही तो हुए हैं शादी को I लग कर इलाज करवाना , सब ठीक होगा I नारी की पूर्णता माँ बनने में ही है , ऐसी दकियानूसी बातें मत सोचना I तुम्हे एक मॉर्डन सास मिली है , भाग्यशाली हो तुम "I
"पर मेरी सारी रिपोर्ट्स नॉर्मल है , प्रॉब्लम इनकी रिपोर्ट्स में है "I
"क्या ? इसने भी करवाया था टेस्ट ?"
"हाँ , और मै भी इन्हें ये ही समझा रही थी कि सब ठीक हो जायगा I और ये भी समझाया कि संतान नहीं पैदा कर पाने का ये अर्थ थोड़ी है कि स्त्री या पुरुष की पूर्णता में कोई कमी है I अब आप भी समझा देनाI"
"क्या चपड़ चपड़ बोले जा रही हो I दूसरी जगह से फिर से करवाउंगी मैं टेस्ट I और तुम ज्यादा मॉर्डन बन रही हो , कुछ लिहाज शर्म है कि नहीं ?"
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आदरणीय प्रतिभा जी,बहुत ही उमदा लघुकथा!अपना सिक्का किसी को भी खोटा नज़र नहीं आता!सासु जी के तेवर एक दम से बदल गये!हार्दिक बधाई!
अपने बेटे में कमी कहाँ हजम होती है आसानी से ,बहु में कमी दुनिया भर में गाती फिर जायेंगी किन्तु बेटे की कमी हरगिज नहीं बतायेंगी ये डबल स्टैण्डर्ड वाली मानसिकता ही सास बहू के रिश्तों को बदनाम किये हुए है बहुत अच्छाई से आपने इसे लघुकथा के माध्यम से दर्शाया है बहुत अच्छी लघु कथा हार्दिक बधाई प्रतिभा जी|
बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीया , बधाई .
आपके विचार अति उत्तम हैं सभी लोगों को अपनी सोच स्त्री के प्रति सहज रखना चाहिए क्योकि सब कुछ अपने हाथ में नहीं होता
"क्या चपड़ चपड़ बोले जा रही हो I दूसरी जगह से फिर से करवाउंगी मैं टेस्ट I और तुम ज्यादा मॉर्डन बन रही हो , कुछ लिहाज शर्म है कि नहीं ?"......कथनी में अंतर व्यक्त करती बेहत्तर रचना .
बधाई आप को आ pratibha pande जी
आदरणीया प्रतिभा जी, बढ़िया लघुकथा हुई है हार्दिक बधाई
कृपया शब्दों के मध्य इतना ज़्यादा गैप न दिया करें आ० प्रतिभा पाण्डेय जी।
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